डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बर्थडे : मिसाइल मैन से जुड़ी ये 5 अनसुनी कहानियां दिल जीत लेंगी

मिसाइलमैन और देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज 86वीं जयंती है, वह भारत के 11वें राष्ट्रपति थे. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने वैज्ञानिक के रूप में चार दशक तक DRDO व ISRO को भी संभाला था. आज हम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती के मौके पर उनसे जुड़े 5 ऐसे किस्से बताएंगे जिनके बारे में शायद ही अपने पहले सुना हो.

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बर्थडे : मिसाइल मैन से जुड़ी ये 5 अनसुनी कहानियां दिल जीत लेंगी

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  • October 15, 2017 4:25 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली : मिसाइलमैन और देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज 86वीं जयंती है, वह भारत के 11वें राष्ट्रपति थे. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने वैज्ञानिक के रूप में चार दशक तक DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) व ISRO को भी संभाला था. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था, उन्हें देश के सर्वोच्च अवॉर्ड भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था. आज हम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती के मौके पर उनसे जुड़े 5 ऐसे किस्से बताएंगे जिनके बारे में शायद ही अपने पहले सुना हो.
 
1) 2002 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का राष्ट्रपति बनाया गया था, राष्ट्रपति बनने के बाद जब वह पहली बार केरल गए तो केरल राजभवन में उनके मेहमान के रूप में दो लोगों की आमंत्रण भेजा गया था, उनमें एक जूता-चप्पल ठीक करने वाला और दूसरा एक ढाबे का मालिक था. आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि तिरुवनंतपुरम में रहने के दौरान डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की इन दोनों से उनकी मुलाकात हुई थी.
 
2) डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की एक खास बात ये रही थी कि वह अपने चाहने वालों को कभी नाराज नहीं करते थे, वह IIM अहमदाबाद के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनकर गए थे. इस कार्यक्रम में शिरकत करने से पूर्व डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने छात्रों के साथ लंच तो किया ही लेकिन जब छात्रों ने उनके साथ फोटो खिंचवाने की गुजारिश की तो उन्होंने इंकार नहीं किया. कार्यक्रम शेड्यूल में देरी होते देख आयोजकों ने छात्रों को तस्वीर लेने से मना किया, इस बात पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने छात्रों को आश्वासन देते हुए कहा कि कार्यक्रम खत्म होने के बाद मैं यहां से तब तक नहीं जाउंगा जब तक आप लोगों के साथ तस्वीर न हो जाए. 
 
3)  डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से जब भी बच्चे मिलने आते थे तो वह अपने बचपन का एक किस्सा अक्सर सुनाया करते थे. बता दें कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जिंदगी से जुड़ा ये किस्सा उस वक्त का है जब वह 8-9 साल के थे. एक दिन उनके पिता काम से लौटने के बाद खाना खा रहे थे लेकिन खाने की थाली में एक रोटी जली हुई थी. उसी रात को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी मां को पिता से माफी मांगते देखा. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के पिता ने जवाब देते हुए कहा कि मुझे जली रोटियां भी पसंद हैं. पिता का ये जवाब सुनने के बाद डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि जली रोटियां किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं लेकिन कड़वे शब्द जरूर नुकसान पहुंचाते हैं. 
 
4) डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से जुड़ी ये बात शायद ही कोई जानता हो कि उन्होंने कभी अपने या अपने परिवार के लिए कुछ भी बचाकर नहीं रखा. राष्ट्रपति पद संभालने के बाद उन्होंने अपनी जमापूंजी और तनख्वाह एक ट्रस्ट के नाम कर दी थी. उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रपति बन गया हूं, इस कारण मैं जब तक जिंदा रहूंगा सरकार मेरा ध्यान रखेगी तो फिर मुझे तन्ख्वाह और जमापूंजी की क्या जरूरत है.
 
5) डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम में एक बात ये खास थी कि वह हमेशा दूसरों की मेहनत और खूबियों की सराहना किया करते थे, यही नहीं वह अपने हाथों से भेजकर Thank You कार्ड भी बनाकर भेजा करते थे. जब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति थे उस दौरान नमन नारायण नामक एक कलाकार ने उनका स्केच बनाया और उन्हें भेजा. स्केच मिलने के बाद डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने नमन के पास अपने हाथ से बनाया थैंक्यू कार्ड और संदेश भेजा तो नमन चौंक गए थे. 
 
 

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