नोएडा. अनिल शर्मा की रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली बिल्डर से समय पर घर ना मिलने से परेशान खरीदरों ने शनिवार की शाम नोएडा के रजनीगंधा चौक पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी खरीदार हाथों में ‘मोदी योगी घर दिलाओ’ का बैनर लेकर नारेबाजी कर रहे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनका घर दिलाने की मांग कर रहे थे. ये ऐसे लोग हैं जिन्होंने आम्रपाली ग्रुप के अलग-अलग प्रोजेक्ट और अपार्टमेंट में अपनी गाढ़ी कमाई और बैंकों से कर्ज लेकर घर बुक किया था. अब इन्हें घर का सपना टूटता नजर आ रहा है जिसने इन्हें सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मोदी जी का सपना था कि सबका घर को अपना लेकिन आम्रपाली वालों ने उनका और हमारा सपना तोड़ा है. प्रदर्शन में शामिल एक बच्ची नारा लगा रही थी- मोदी अंकल घर दिलाओ, योगी मामा घर दिलाओ, मम्मी को घर दिलाओ, पापा को घर दिलाओ.
दरअसल, आम्रपाली ग्रुप को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिसके खिलाफ कुछ खरीदार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आम्रपाली ग्रुप के प्रोमोटर्स के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है और साफ कर दिया है कि ये लोग बिना कोर्ट की इजाजत के देश से बाहर नहीं जा सकते. आम्रपाली ग्रुप के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के कुछ खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली सिलिकन सिटी में उन्होंने निवेश किया था लेकिन उन्हें ना तो घर मिला और ना ही रिफंड. अब कंपनी के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरु हो गई है. ऐसे में खरीदारों को भी अपनी बात कहने का मौका मिलना चाहिए. प्रोमोटर सुन नहीं रहे हैं और वो इस तरह भाग नहीं सकते. कोर्ट ने खरीदारों की ओर से वरिष्ठ वकील शेखर नाफडे को दिवालिया प्रक्रिया के दौरान कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स के सामने पेश होकर उनकी बात रखने को कहा. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद फिर होगी.
सूत्रों के मुताबिक आम्रपाली ग्रुप पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का करीब तीन हजार करोड़ रुपया बकाया है. इसके अलावा अलग-अलग बैंकों से कंपनी ने एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले रखा है. इस वजह से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी NCLT ने आम्रपाली सिलिकन सिटी प्राइवेट लिमिटेड को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट में ग्राहकों ने जो अपील दायर की है उसमें कहा गया है कि कंपनी के खिलाफ अगर दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो ग्राहकों को उनका घर नहीं मिल पाएगा.
आम्रपाली से पहले जेपी इन्फ्राटेक के खरीदार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं
इसी साल जुलाई महीने में आम्रपाली ग्रुप के सीईओ ऋतिक कुमार सिन्हा और मैनेजिंग डायरेक्टर निशांत मुकुल को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. दोनों को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था. इनकी गिरफ्तारी से एक दिन पहले ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार फ्रॉड बिल्डरों को लेकर काफी गंभीर है और यूपी में कोई बिल्डर फ्लैट बेचकर बिना दिए फरार नहीं हो सकेगा.
आम्रपाली ग्रुप की इस कंपनी के अलावा दूसरी बड़ी रियल एस्टेट कंपनी जेपी इन्फ्राटेक को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया भी शुरू हुई थी जिस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ IDBI बैंक सुप्रीम कोर्ट गया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से फ्लैट खरीदारों को नही बल्कि जेपी इन्फ्राटेक को फायदा हुआ है. इसके सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इंफ्राटेक को 2000 करोड़ रुपए 45 दिनों के अंदर जमा कराने का आदेश दिया. जेपी इंफ्राटेक को 27 अक्टूबर तक 2000 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे. इसके लिए कंपनी ने ग्रेटर नोएडा की एक संपत्ति बेचने की इजाजत मांगी है जिसका बाजार भाव उसके मुताबिक 2500 करोड़ है.
इसे भी पढ़ें