हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017: कितनी सीटें, 2012 के चुनाव नतीजे और विजयी विधायक, 2017 चुनाव कार्यक्रम और तारीख

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. 9 नवंबर को एक ही चरण में राज्य की 68 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होगी. ऐसा नहीं है कि पहली बार इतने गैप में चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे. 2012 चुनाव में भी वोटिंग और काउंटिंग के बीच काफी फर्क था.

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हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017: कितनी सीटें, 2012 के चुनाव नतीजे और विजयी विधायक, 2017 चुनाव कार्यक्रम और तारीख

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  • October 12, 2017 5:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्लीः हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. 9 नवंबर को एक ही चरण में राज्य की 68 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होगी. ऐसा नहीं है कि पहली बार इतने गैप में चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे. 2012 चुनाव में भी वोटिंग और काउंटिंग के बीच काफी फर्क था. 2012 में 4 नवंबर को चुनाव हुआ था और 20 दिसंबर को नतीजे आए थे. 2017 चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी पार्टी बीजेपी ने अपनी कमर कस ली है. चुनाव के लिए 7521 पोलिंग स्टेशन तैयार किए जाएंगे. नामांकन की तारीख 16 से 23 अक्टूबर तय की गई है. इस चुनाव की खास बात यह है कि देश में पहली बार किसी राज्य की सभी सीटों पर VVPAT का इस्तेमाल किया जाएगा. हिमाचल प्रदेश के मौजूदा सीएम वीरभद्र सिंह 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. सिंह शिमला ग्रामीण क्षेत्र से विधायक हैं. अब आपको बताते हैं साल 2012 में किन-किन प्रत्याशियों ने अपने क्षेत्र में जीत का परचम लहराया था.
 
2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जादुई आंकड़े को छूते हुए 36 सीटों पर कब्जा जमाया था. बीजेपी को 26 सीटें मिलीं थीं. ‘हिमाचल लोकहित पार्टी’ को एक सीट और 5 सीटों पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी. विधानसभा क्षेत्रों के अनुसार 68 विजयी प्रत्याशियों की लिस्टः
 
1- चुराह (SC): हंसराज, बीजेपी.
2- भरमौर (ST): ठाकुर सिंह भरमौरी, कांग्रेस.
3- चंबा: बी.के. चौहान, बीजेपी.
4- डलहौजीः आशा कुमारी, कांग्रेस.
5- भट्टियाटः बिक्रम सिंह जरयाल, बीजेपी.
6- नूरपुरः अजय महाजन, कांग्रेस.
7- इंदोरा (SC): मनोहर धीमान, निर्दलीय.
8- फतेहपुरः सुजन सिंह पठानिया, कांग्रेस.
9- जवालीः नीरज भारती, कांग्रेस.
10- देहराः रविंद्र सिंह, बीजेपी.
11- जासवान-प्रागपुरः बिक्रम सिंह, बीजेपी.
12- ज्वालामुखीः संजय रत्तन, कांग्रेस.
13- जयसिंहपुर (SC): यदविंदर गोमा, कांग्रेस.
14- सुल्लाहः जगजीवन पॉल, कांग्रेस.
15- नगरोटाः जी.एस. बाली, कांग्रेस.
16- कांगड़ाः पवन काजल, निर्दलीय.
17- शाहपुरः सरवीन, बीजेपी.
18- धर्मशालाः सुधीर शर्मा, कांग्रेस.
19- पालमपुरः ब्रिज बिहारी लाल बुटैल, कांग्रेस.
20- बैजनाथ (SC): किशोरी लाल, कांग्रेस.
21- लाहौल-स्पिति (ST): रवि ठाकुर, कांग्रेस.
22- मनालीः गोविंद सिंह ठाकुर, बीजेपी.
23- कुल्लूः महेश्वर सिंह, हिमाचल लोकहित पार्टी.
24- बंजरः करन सिंह, कांग्रेस.
25- अन्नी (SC): खूब राम, कांग्रेस.
26- करसोग (SC): मनसा राम, कांग्रेस.
27- सुंदरनगरः सोहन लाल, कांग्रेस.
28- नाचन (SC): विनोद कुमार, बीजेपी.
29- सेराजः जयराम ठाकुर, बीजेपी.
30- दरंगः कौल सिंह, कांग्रेस.
31- जोगिंदर नगरः गुलाब सिंह ठाकुर, बीजेपी.
32- धरमपुरः महेंद्र सिंह, बीजेपी.
33- मंडीः अनिल कुमार, कांग्रेस.
34- बल (SC): प्रकाश चौधरी, कांग्रेस.
35- सरकाघाटः इंदर सिंह, बीजेपी.
36- भोरंज (SC): ईश्वर दास धीमान, बीजेपी.
37- सुजनपुरः राजेंद्र सिंह, निर्दलीय.
38- हमीरपुरः प्रेम कुमार धूमल, बीजेपी.
39- बरसारः इंदर दत्त लखनपाल, कांग्रेस.
40- नादौनः विजय अग्निहोत्री, बीजेपी.
41- चिंतपूर्णी (SC): कुलदीप कुमार, कांग्रेस.
42- गगरेतः राकेश कालिया, कांग्रेस.
43- हरोलीः मुकेश अग्निहोत्री, कांग्रेस.
44- ऊनाः सतपाल सिंह सत्ती, बीजेपी.
45- कुटलेहारः विरेंद्र कंवर, बीजेपी.
46- झंडुता (SC): रिखीराम कोंडल, बीजेपी.
47- घुमरविनः राजेश धरमानी, कांग्रेस.
48- बिलासपुरः बुंबेर ठाकुर, कांग्रेस.
49- श्रीनैना देवीजीः रणधीर शर्मा, बीजेपी.
50- अर्कीः गोविंद राम शर्मा, बीजेपी.
51- नालागढ़ः कृष्ण लाल ठाकुर, बीजेपी.
52- दूनः राम कुमार, कांग्रेस.
53- सोलन (SC): धनी राम शांडिल, कांग्रेस.
54- कसौली (SC): राजीव सैजल, बीजेपी.
55- पच्छड़ (SC): सुरेश कुमार, बीजेपी.
56- नाहनः राजीव बिंदल, बीजेपी.
57- श्री रेणुकाजी (SC): विनय कुमार, कांग्रेस.
58- पोंटा साहिबः किरनेश जंग, निर्दलीय.
59- शिलाईः बलदेव सिंह तोमर, बीजेपी.
60- चोपालः बलबीर सिंह वर्मा, निर्दलीय.
61- थॉगः विद्या, कांग्रेस.
62- कसुंप्टीः अनिरूद्ध सिंह, कांग्रेस.
63- शिमलाः सुरेश भारद्वाज, बीजेपी.
64- शिमला (ग्रामीण): वीरभद्र सिंह, कांग्रेस.
65- जुब्बल-कोटखाईः रोहित ठाकुर, कांग्रेस.
66- रामपुर (SC): नंदलाल, कांग्रेस.
67- रोहरु (SC): मोहन लाल ब्राक्टा, कांग्रेस.
68- किन्नौर (ST): जगत सिंह नेगी, कांग्रेस.
 
कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह पर खेला दांव तो BJP ने नहीं खोले पत्ते
2012 चुनाव में बीजेपी को कुल 38.83 प्रतिशत वोट मिले थे. कांग्रेस 43.21 प्रतिशत वोट हासिल करने के साथ 36 सीटों पर विजयी रही थी. हिमाचल में सरकार बनाने के लिए बहुमत का मैजिक फिगर 35 है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में घोषणा की थी कि वीरभद्र सिंह इस चुनाव में भी हमारे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बने रहेंगे. बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद पर किसी के भी नाम का खुलासा नहीं करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में चुनाव लड़ने की बात कही. माना जा रहा है कि अगर बीजेपी सूबे में अपनी सरकार बनाने में सफल होती है तो पार्टी हाईकमान हिमाचल से राज्यसभा सांसद और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को राज्य की कमान सौंप सकता है. 73 साल के बीजेपी के दिग्गज नेता प्रेम कुमार धूमल को सत्ता सौंपे जाने में उनकी उम्र आड़े आ सकती है. बीजेपी में 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को कोई मंत्री पद नहीं दिए जाने का अलिखित कानून धूमल की राह में रोड़ अटका सकता है. अगर ऐसा होता है तो बीजेपी के दिग्गज नेता प्रेम कुमार धूमल किस ओर रूख करेंगे, यह गौर करने वाली बात होगी.
 
CM वीरभद्र सिंह के लिए कांटों भरी राह है 2017 का चुनाव
कांग्रेस की बात करें तो सीएम वीरभद्र सिंह की कुर्सी इस बार खतरे में नजर आ रही है. वीरभद्र सिंह को आय से अधिक संपत्ति के मामले को लेकर चल रही सीबीआई जांच की वजह से काफी फजीहत झेलनी पड़ी है. पर्वतीय प्रदेश होने के कारण खेती के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को नुकसान हो सकता है. पर्वतीय जमीन पर खेती करना काफी कठिन होता है. पानी न होने के कारण किसान पूरी तरह से बारिश पर निर्भर हैं. किसानों को खेती के लिए पानी न मिलना भी चुनाव में सरकार को नुकसान पहुंचा सकता है. हिमाचल में बेरोजगारी भी एक बड़ा मुद्दा है. इस बार चुनाव में 40,567 युवा पहली बार अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे. इन युवा वोटरों के लिए रोजगार पहली प्राथमिकता है और यह बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है.
 
गुड़िया-गैंगरेप मर्डर केस और दलित मुद्दा
हाल ही में हुआ गुड़िया-गैंगरेप मर्डर केस भी वीरभद्र सरकार पर भारी पड़ सकता है. वीरभद्र सरकार को गुड़िया-गैंगरेप मर्डर केस के दौरान काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था. असल आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पूरे राज्य में जनता सड़कों पर उतर आई थी. आक्रोशित भीड़ ने सरकार के खिलाफ कई दिनों तक प्रदर्शन किया. सीबीआई अभी इस केस की जांच कर रही है. दूसरी ओर दलित मुद्दा भी चुनाव में छाया रहेगा. कांग्रेस और बीजेपी प्रदेश की 25 प्रतिशत दलित आबादी को साधने में जोर-शोर से जुट गई है. इस बात की तस्दीक इससे हो सकती है कि दोनों ही पार्टियां राज्य में दलित सम्मेलनों का आयोजन करवा रही हैं. दलित बाहुल्य इलाकों में खास ध्यान दिया जा रहा है. फिलहाल 18 दिसंबर की तारीख दोनों ही पार्टियों का राज्य में भविष्य तय करेगी.
 
 

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