नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के लिए तारीखों का ऐलान तो कर दिया लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 की तारीखों का ऐलान टाल दिया है. लेकिन हिमाचल चुनाव के वोट और नतीजे में 39 दिनों का गैप ये साफ इशारा करता है कि गुजरात के चुनाव भी 18 दिसंबर से पहले हो जाएंगे. हिमाचल में एक ही चरण में 9 नवंबर को मतदान होगा जबकि नतीजे करीब डेढ़ महीने बाद 18 दिसंबर को आएंगे. माना जा रहा था कि चुनाव आयोग गुजरात और हिमाचल चुनावों की तारीखों का ऐलान एक साथ करेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चुनाव आयोग आम तौर पर किसी राज्य के चुनाव में आखिरी चरण या एकमात्र चरण की वोटिंग के दो-तीन दिन बाद मतगणना करा लेता है लेकिन हिमाचल में वोटिंग और काउंटिंग के बीच 39 दिनों का गैप साफ-साफ इशारा करता है कि आयोग गुजरात में वोटिंग जब भी कराए, मतगणना 18 दिसंबर को ही कराएगा. दूसरे शब्दों में कहें तो गुजरात में भी वोटिंग 18 दिसंबर से पहले हो जाएंगे.
मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति ने मंगलवार को संकेत दिया था कि दिसंबर में गुजरात और हिमाचल में विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं. गुरुवार को हिमाचल की तारीख के ऐलान के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही चुनाव आयोग गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का भी ऐलान करेगा. अनुमान है कि 1 दिसंबर से 15 दिसंबर के बीच दो या तीन चरणों में गुजरात विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं. 2012 में गुजरात में दो चरणों में 13 दिसंबर और 17 दिसंबर को विधानसभा चुनाव कराए गए थे. दूसरे चरण के चुनाव के तीन दिन बाद यानी 20 दिसंबर, 2012 को नतीजे आए थे.
गुजरात में इस बार चार करोड़ 33 लाख मतदाता हैं. इनमें 2.25 करोड़ यानी करीब 52 प्रतिशत पुरुष और 2.07 करोड़ यानी करीब 48 प्रतिशत महिलाएं हैं. इस बार 10 लाख 46 हजार ऐसे वोटर हैं जो पहली बार वोट डालेंगे. 2012 के चुनाव में गुजरात की 182 सीटों में बीजेपी ने 115 सीटें जीती थीं. बीजेपी तब 16 सीटें महज 2 प्रतिशत के अंतर से हार गई थी. कांग्रेस ने तब 61 सीटें जीती थीं जिनमें 46 प्रतिशत सीटें 5 प्रतिशत से भी कम अंतर से निकली थीं. अन्य को 6 सीटें मिलीं थीं. 2012 के चुनाव में गुजरात में लगभग 71.32 प्रतिशत वोटिंग हुई थी जो एक रिकॉर्ड था.
विधानसभा चुनावों में बीजेपी को प्रभावी जीत दिलाने वाले तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी चौथी बार गुजरात के सीएम बने थे. नरेंद्र मोदी मणिनगर सीट से जीते थे. इसके बाद 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की जगह पर आनंदीबेन पटेल राज्य की मुख्यमंत्री बनीं. कुछ समय पहले आनंदीबेन की जगह पर विजय रुपानी को सीएम और नितिन पटेल को डिप्टी सीएम बनाया गया. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 2012 के चुनाव में नारनपुरा से विधायक चुने गए थे जो अब गुजरात से ही राज्यसभा के सांसद हैं.
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का फोकस गुजरात पर ज्यादा है. वजह साफ है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और ग्राउंड रिपोर्ट यही हैं कि वहां वीरभद्र सिंह दोबारा कांग्रेस को सरकार बनाने की हालत तक नहीं ले जा पाएंगे. ऐसे में राहुल अपनी ऊर्जा गुजरात में लगा रहे हैं जहां वो सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराने की जुगत में हैं. राहुल गांधी के लगातार गुजरात दौरे में ‘विकास पागल हो गया है’ कांग्रेस का सबसे बड़ा हमला है जिसकी वजह से बीजेपी डिफेंसिव है. राहुल की पूरी कोशिश है कि जिस गुजरात मॉडल के नाम पर नरेंद्र मोदी अपनी छवि चमकाकर दिल्ली की सत्ता में छा गए उसी गुजरात में कांग्रेस की जीत से कांग्रेस को 2019 के लिए चुनावी संजीवनी मिल सकती है.