मुंबई: मुंबई के एलफिंस्टन रोड ओवरब्रिज हादसे में नए पुल के टेंडर में हुई देरी की जांच के लिए रेल मंत्रालय ने एक हाई लेवल जांच कमेटी गठित कर दी है. कमेटी पता लगाएगी कि कैसे प्रोजेक्ट के सेंक्शन होने के 18 महीने देरी से काम का टेंडर किया गया था. जांच कमेटी प्रत्यूष सिन्हा पूर्व सीवीसी की अध्यक्षता में होगी जिसमें विनायक चटर्जी, पूर्व मेम्बर इंजीनियर सुबोध जैन और रेलवे बोर्ड से डायरेक्टर सेफ्टी सदस्य होंगे. कमेटी को 3 महीने के अंदर रिपोर्ट सौपनी है. कमेटी देरी की वजह जानने के अलावा आगे भविष्य में ऐसी घटना न हो इसके लिए अपने सुझाव भी देगी. इससे पहले महाराष्ट्र के मुंबई के एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के फुट ओवरब्रिज पर 29 सितंबर को हुए हादसे में जांच कमेटी ने रेलवे को क्लीनचिट दे दी है.
रेलवे की 5 सदस्यों की कमेटी ने जो रिपोर्ट दी, उसके मुताबिक, बारिश और अफवाह की वजह से भगदड़ मची, जिससे 23 लोगों की मौत हो गई. वेस्टर्न रेलवे के CPRO रवींद्र भाकर ने बताया कि जांच में पता चला है कि बारिश के बाद, पुल गिरने की अफवाह की वजह से हुआ था. CPRO के मुताबिक, भारी बारिश के चलते फुट ओवरब्रिज पर काफी यात्री जमा हो गए थे. इसी दौरान पुल गिरने की अफवाह फैल गई और भयानक हादसा हो गया. CPRO ने कहा कि एक महिला ने मराठी में कहा कि मेरा फूल गिर गया. जिसे लोगों ने हिंदी में समझा कि पुल गिर गया और फिर भगदड़ मच गई. CPRO ने माना कि इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है और ऐसे हादसों से डील करने के लिए रेल कर्मचारी तैयार नहीं हैं. बता दें कि एलफिंस्टन हादसे का मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में पहुंच गया है. कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ये हादसा रेलवे अधिकारियों की लापरवाही से हुआ है, लिहाजा उनके खिलाफ केस दर्ज हो. याचिका में एल्फिंस्टन ब्रिज पर मची भगदड़ की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में करने की मांग की गई है.
बता दें कि मुंबई में परेल-एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के पास बने पुल पर ज्यादा भीड़ की वजह से मची भगदड़ में 23 लोगों की मौत हो गई. मृतकों में 8 महिलाएं थीं. यह घटना शुक्रवार सुबह 10 बजकर 45 मिनट के करीब हुए यह हादसा हुआ. एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन पर तीन फुटऑवर ब्रिज हैं, जिसमें ये सौ साल से भी ज्यादा पुराना है. साल 1911 में लॉर्ड एलफिंस्टन के नाम पर ये रेलवे स्टेशन बना था. इसके दो साल बाद ही यानि 1913 में फुटओवर ब्रिज का निर्माण हुआ. अनुमान के मुताबिक इस ब्रिज से हर दिन 3 लाख से ज्यादा लोग गुजरते हैं. ब्रिज की मियाद और लोगों की बढ़ती क्षमता देखते हुए इस रेलवे स्टेशन पर दूसरा ब्रिज बनाने की मांग की गई लेकिन ब्रिज नहीं बना, अलबत्ता रेलवे स्टेशन का नाम जरूर बदल दिया गया. इसी साल 5 जुलाई को वेस्टर्न रेलवे ने एक नोटिफिकेशन जारी कर अंग्रेजों के जमाने के इस स्टेशन का नाम प्रभादेवी कर दिया.