नई दिल्ली: देश में एक नई बहस खड़ा करने की कोशिश हो रही है और वो ये कि महात्मा गांधी की हत्या में नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और की तरफ से गोली चलाई थी क्या ? ये बात सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है. अदालत ने इस पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 30 अक्टूबर तय की है. जिस आदमी ने गांधी की हत्या की जांच नए सिरे से करने की मांग की है उसका नाम पंकज फडनवीस है और वो अभिनव भारत के ट्रस्टी हैं. फडनवीस का दावा है कि गांधी को 3 गोली नहीं बल्कि चार गोलियां मारी गई थी. अभी तक सबूत इसी बात के रहे हैं कि नाथूराम गोडसे की पिस्तौल से चली गोली तीन गोलियों से ही गांधी की मौत हुई लेकिन पंकज फडनवीस ये दावा कर रहे हैं कि बहुत सारे ऐसे दस्ताबेज और उल्लेख हैं जो बताते हैं कि चौथी गोली भी चली थी.
महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई, 15 नवंबर 1949 को हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी दे दी गई. इस मामले में गोड्से के भाई गोपाल गोड्से, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण कर करके को आजीवन जेल हुई. तीन लोग और जो इस मामले में नामजद थे वो सबूत के अभाव में बरी हो गए. जिसमें वीर सावरकर भी थे, उन्हीं सावरकर की अभिनव भारत संस्था थी. जिससे पंकज फडनवीस जुड़े हैं.
फंकज फडनवीस जिस चौथी गोली का जिक्र कर रहे हैं उसका सबसे बड़ा आधार मनू बेन की डायरी है. वो मनू बेन जो गांधी जी को गोली लगने के वक्त सबसे करीब थी और उन्होंने ही गोड्से को गांधी से थोड़ा दूर होने को कहा था. गांधी की हत्या मनू बेन की डायरी का आखिरी पन्ना है क्योंकि इसके बाद उन्होंने डायरी लिखी नहीं लेकिन ये आखिरी पन्ना कहता है…
‘ गोलीकांड के दूसरे दिन लगभग 1 बजे बापू को बाथरूम में ले जाया गया. सब लोग रो रहे थे. बापू की धोती, शॉल पूरी तरह खून में लथपथ थे. एक बुलेट उनके कपड़ों से निकली थी.’ अब यहीं से गांधी को चार गोली मारे जाने की बात सामने आई लेकिन बात इतनी ही नहीं. पंकज फडनवीस ने दुनिया की कई अखबारों की कतरने भी अपनी रिसर्च में जमा किए हुए हैं. लंदन, पेरिस और मॉस्को से प्रकाशित होने वाले ऐसे अख़बारों की रिपोर्ट में चार गोलियों का जिक्र है ऐसा दावा है और कोर्ट से कुछ और समय मांग रहे हैं कि अगर थोड़ा समय और मिला तो और भी दस्ताबेज वो दे सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व एडिशनल सोलिसिटर जनरल और सीनियर एडवोकेट अमरेन्द्र शरण को एमीकस क्यूरी यानी न्यायमित्र बनाया है औऱ कहा है कि भाई जरा इस पूरे मामले को देखिए, समझिए और जो दस्ताबेज और नए सबूत रखे जा रहे हैं उनको आजमाइए और बताइए कि केस दोबारा खुलना चाहिए या नहीं. कोर्ट ने यह भी कहा कि आखिर जो मामला बंद है उसे क्यों खोला जाए. जिसमें सजा हो गई. जिससे जुड़े लोग अब ज़िंदा नहीं. उसको भला खोला क्यों जाए ? इसीलिए ये सवाल लाजमी है कि गांधी की हत्या में चौथी गोली की थ्योरी से क्या कुछ और साबित करने और अब तक के इतिहास को बदलने की कोशिश की जा रही है.
(वीडियो में देखें पूरा शो)