नई दिल्ली: साढ़े तीन साल का सफर तय करना पड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वडनगर पहुंचने के लिए और फिर जैसे ही अपने गांव पहुंचे, उससे बिछड़ने का दर्द मोदी की जुबां पर छलक आया. 6 किलोमीटर लंबे काफिले के बाद मोदी सीधा हाटकेश्वर मंदिर पहुंचे. उस मंदिर में, जिसे वो कुलदेवता मानते हैं. मंदिर में घुसने से पहले मोदी ने हाथ धोए और फिर महादेव के दर्शन किए. पीएम मोदी के लिए भोले के मायने क्या हैं, उन्होंने वडनगर के लोगों के सामने ये जाहिर भी किया.
मोदी ने कहा कि मैंने अपनी यात्रा वडनगर से शुरू की और अब काशी पहुंच गया हूं, वडनगर की भांति काशी भी भोले बाबा की नगरी है. भोले बाबा के आशीर्वाद ने मुझे बहुत शक्ति दी है और यही ताकत इस धरती की ओर से मेरा सबसे बड़ा उपहार है. बता दें कि 15वीं शताब्दी में बने इस मंदिर में मोदी करीब 5 मिनट तक रुके. उन्होंने सबसे पहले शिवलिंग पर जल चढ़ाया और फिर माला अर्पित की. इसके बाद मोदी ने हाथ जोड़कर 30 सेकंड तक महादेव को याद किया. पूजा के विधि-विधान के तहत शिवलिंग की आरती भी की. और पुष्प चढ़ाए.
15वीं शताब्दी के इस मंदिर से पीएम मोदी का गहरा नाता है. कहते हैं, काशी की परंपरा के अनुसार ही इस मंदिर को बनाया गया है. जिसका पुनर्निमाण हुआ था साल 1965 में. वाराणसी के रहने वाले ही हाटकेश्वर मंदिर की देख-रेख करते हैं और यही वजह है कि वो हाटकेश्वर के जरिए काशी को जोड़ना ना भूले. इन 17 सालों में मोदी की महादेव के प्रति आस्था वैसी ही है. मोदी जहां भी जाते हैं, महादेव के दर पर जाना नहीं भूलते. वाराणसी के सांसद चुने जाने के बाद मोदी वहां गए तो काशी विश्वानाथ मंदिर के दर्शन किए और विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा अर्चना की. वडनगर में भी वैसी ही तस्वीर देखने को मिली. माथे पर तिलक और गले में पीला गमछा डाल मोदी हाटकेश्वर मंदिर से निकले. जहां उन्होंने कुछ लोगों से मुलाकात की.
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