Advertisement
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • रघुराम राजन को मिल सकता है अर्थशास्त्र का नोबेल, संभावितों में पूर्व RBI गवर्नर का नाम शामिल

रघुराम राजन को मिल सकता है अर्थशास्त्र का नोबेल, संभावितों में पूर्व RBI गवर्नर का नाम शामिल

वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के अनुसार रघुराम राजन उन 6 अर्थशास्त्रियों में से एक हैं जिन्हें क्लैरिवेट ऐनालिटिक्स ने इस साल अपनी लिस्ट में शामिल किया है.

Advertisement
  • October 8, 2017 7:23 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को साल 2017 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिल सकता है. क्लैरिवेट एनालिटिक्स ने छह संभावितों की जो सूची तैयार की है, उसमें राजन का भी नाम है. सोमवार को इस पुरस्कार का ऐलान स्टॉकहोम में किया जाएगा. इस सूची में नाम आने का मतलब यह नहीं है कि राजन पुरस्कार पाने वालों में सबसे आगे हैं, बल्कि वह इसे जीतने वाले संभावित दावेदारों में से एक हैं. राजन का नाम उस कंपनी ने अपनी लिस्ट में शामिल किया है, जो कि नोबेल पुरस्कार पाने वाले लोगों की एकेडमिक और साइंटिफिक रिसर्च के डाटा को कंपाइल करती है.  
 
एनालेटिकल फर्म ने इसकी जानकारी अपनी वेबसाइट पर भी साझा की है. पिछले 15 सालों में जिन संभावित लोगों का नाम इस फर्म ने बढ़ाया है. उसमें से अबतक 45 लोगों को नोबल पुरस्कार मिल चुका है. वहीं 9 लोगों को तो उसी साल मिला, जब इस वेबसाइट ने उनके नाम का जिक्र किया. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर राजन फिलहाल शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में फायनेंस के प्रोफेसर के तौर पर पढ़ा रहे हैं.
 
 
वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के अनुसार रघुराम राजन उन 6 अर्थशास्त्रियों में से एक हैं जिन्हें क्लैरिवेट ऐनालिटिक्स ने इस साल अपनी लिस्ट में शामिल किया है. कॉर्पोरेट फाइनेंस के क्षेत्र में किए गए काम के लिए राजन का नाम लिस्ट में आया है. रघुराम राजन का नाम अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की दुनिया के बड़े नाम में से एक है. सबसे कम उम्र (40) और पहले गैर पश्चिमी आईएमएफ चीफ बनने वाले राजन ने 2005 में एक पेपर प्रेजेंटेशन के बाद बड़ी प्रसिद्धि हासिल की. 
 
 
डॉ रघुराम राजन की गिनती दुनिया के सबसे प्रतिभाशली अर्थशास्त्रियों में होती है और भारतीय अर्थव्यवस्था में उनका अमूल्य योगदान है. पिछले साल उन्होंने गवर्नर के रूप में दूसरा कार्यकाल लेने से इनकार कर  अमेरिका में अपने विश्वविद्यालय में पढ़ाने का निर्णय लिया. 2008 की आर्थिक मंदी के लिए 2005 में ही एक पेपर प्रजेंट कर रघुराम राजन ने पूर्व आकलन पेश कर दिया था.
 

Tags

Advertisement