नई दिल्ली. समझौता एक्सप्रेस में बम धमाके के आरोपी असीमानंद की बेल के खिलाफ एनआईए की अपील ना करने पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी इसको लेकर एनआईए की आलोचना की है.
दिग्विजय ने कहा, इस कड़ी में अगला नाम साध्वी प्रज्ञा, मेजर उपाध्याय, नकली शंकराचार्य पांडेय और कर्नल पुरोहित का होगा.’ दिग्विजय ने आरोप लगाते हुए ट्वीट किया, ‘भाजपा और आरएसएस संघ से जुड़े आतंकियों को लेकर उदार हैं और वो उन्हें बाहर निकालना चाहते हैं, जिससे वो उनका विरोध करने वालों को आतंकित कर सकें.
उमर ने कहा है कि एनआईए का फ़ैसला पाकिस्तान में लखवी को मिली जमानत से किस तरह अलग है. दरअसल भारत मुंबई पर हुए हमले के अभियुक्त लश्करे तैयबा नेता ज़कीउर्रहमान लखवी की पाकिस्तान में मिली जमानत पर विरोध जताता रहा है.
असीमानंद को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने ट्विटर पर लिखा है, सीबीआई तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत को विरोध करती है. लेकिन एनआईए स्वघोषित आतंकवादी असीमानंद की जमानत का विरोध नहीं करती है.
क्या है मामला ?
इससे पहले केंद्रीय गृहराज्य मंत्री हरीभाई चौधरी ने मंगलवार को लोकसभा को जानकारी दी थी कि असीमानंद को मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआईए) को कोई वजह नज़र नहीं आई.
कौन है असीमानंद?
असीमानंद पर 2007 के समझौता एक्सप्रेस में बम धमाके करने का आरोप हैं.
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