लंदन. भारतीय बैंकों से 9000 करोड़ रुपए लेकर लंदन भागने वाले बिजनेसमैन विजय माल्या को लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया है, हालांकि कुछ ही देर में उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई. माल्या की गिरफ्तारी प्रवर्तन निदेशालय के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई है. बता दें कि कुछ महीने पहले माल्या को अरेस्ट किया गया था और उस बार भी उन्हें गिरफ्तारी के कुछ देर बाद जमानत पर छोड़ दिया गया था. माल्या की 6 महीने के भीतर यह दूसरी गिरफ्तारी है.
भारत सरकार माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिश में लगी हुई है. इसके लिए भी कानूनी कार्यवाही चल रही है. दरअसल सीबीआई और ईडी की एक टीम भी कुछ महीने पहले लंदन पहुंची थी. टीम ने वहां की अदालत में माल्या के खिलाफ सबूत पेश किए थे.
कुछ दिन पहले ही ब्रिटेन की कंपनी डियाजियो ने माल्या से चार करोड़ डॉलर (लगभग 260 करोड़ रुपए) वापस मांगे थे. ये राशि माल्या को यूनाइटेड स्प्रिट्स लिमिटेड से बाहर निकलने के लिए हुए 7.5 करोड़ डॉलर (लगभग 515 करोड़ रुपए) के समझौते के हिस्से के तौर पर दी गई थी.
सालाना माल्या को दी जाने वाली 70 लाख डॉलर की रकम पर भी डियाजियो ने रोक लगा दी थी, साथ ही कंपनी को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए भी कहा गया है. डियाजियो ने इस समझौते के लिए 7.5 करोड़ डॉलर को 5 साल में देने के लिए सहमति बनाई थी. बता दें कि डियाजियो ने विजय माल्या पर समझौते का उल्लघंन करने का आरोप लगाते हुए भविष्य में कोई भी किस्त नहीं देने की बात कही है.
बता दें कि ब्रिटेन की विंस्टमिंस्टर कोर्ट के आदेश के बाद 18 अप्रैल को भी माल्या की गिरफ्तारी हुई थी. हालांकि तीन घंटे के अंदर ही लंदन कोर्ट से जमानत मिल गई थी. मार्च 2016 में माल्या देश छोड़कर लंदन भाग गए थे. तब से वो वहीं पर रह रहे हैं. कोर्ट माल्या को भगोड़ा घोषित कर चुका है.
माल्या के मामले को लेकर मोदी सरकार और वित्त मंत्री अरुण जेटली की संसद के अंदर और बाहर काफी किरकिरी हो चुकी है. उस समय सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया था कि कानूनी प्रक्रिया के तहत बहुत ही जल्द माल्या को भारत लाया जाएगा. इसी बीच अदालत ने बैकों का पैसा वापस करने के लिए उनकी प्रॉपर्टी की नीलामी शुरू कर दी. हाल ही में माल्या का बंगलोर स्थित बंगला किंगफिशर विला हाल ही में नीलाम हुआ है.