गुवाहाटी. हमारे देश की लचर व्यवस्था का नतीजा कहिये या फिर दुर्भाग्य कि 30 साल की सेवा से रिचायर होने के बाद एक आर्मी अफसर को अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ रही है. रिटायर आर्मी अफसर मोहम्मद अजमल को ये साबित करने को कहा गया है कि वे भारतीय नागरिक हैं या फिर बांग्लादेशी प्रवासी.
49 साल के मोहम्मद अजमल हक भारतीय सेना में 30 साल नौकरी करने के बाद पिछले वर्ष जेसीओ रैंक से रिटायर हुए थे. इसके बाद से वो अपने परिवार के साथ गुवाहाटी में रह रहे हैं. मगर असम के फॉरेनर्स ट्रिब्यनल की ओर से नोटिस भेजा गया है, जिसमें ये साबित करने को कहा गया है कि वो भारतीय नागरिक हैं ना कि बांग्लादेशी प्रवासी नागरिक.
6 जुलाई के नोटिस के मुताबिक, जिला पुलिस ने एक मामला दर्ज किया, जिसमें ये दावा किया गया है कि वे 1971 में बांग्लादेश से भारत अवैध तरीके सेआए थे. नोटिस में ये भी कहा गया है कि अजमल के पास कोई मान्य दस्तावेज नहीं है और यही वजह है कि उन्हें ट्रिब्यूनल कोर्ट के समक्ष 13 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा गया है.
इतना ही नहीं, अजमल को ट्रिब्यूनल ने संदिग्ध वोटर्स की लिस्ट में भी शामिल कर दिया है. एक टीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं बहुत दुखी हूं. मैं बहुत रोया हूं. मेरी आत्मा टूट चुकी है. 30 साल देश की सेवा के बाद मुझे इस तरह के अपमान का सामना करना पड़ रहा है. अगर मैं अवैध बांग्लादेशी होता तो फिर इंडियन आर्मी में सेवा कैसे देता?
हक की मानें तो जब उन्होंने इंडियन आर्मी ज्वाइन किया था, तब भी उनका अनिवार्य पुलिस सत्यापन हुआ था. उन्होंने कहा कि इस सत्यापन से साबित होता है कि वे मान्य भारतीय नागरिक हैं.
बता दें कि साल 2012 में अजमल हक की पत्नी मुमताज बेगम को भी दस्तावेज दिखाने के लिए समन जारी किया गया था. उस वक्त हक इंडियन आर्मी में मैकेनिकल इंजीनियर थे. हालांकि, उस वक्त भी उनकी पत्नी के पास भारतीय नागरिकता थी. हक का बेटा अभी देहरादून में राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में पढ़ता है.
बता दें कि इस मामले में हक की ओर से गुवाहाटी के वकील अमन वदूद ट्रायल के लिए पहुंचे. वहां भी उन्होंने साबित किया कि हक भारतीय नागरिक हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो 1961-62 के सर्वे में 1996 के गांव के वोटर लिस्ट में अजमल हक के पिता का नाम शामिल है. हक का जन्म कामरूप जिले में 1968 में हुआ है. वे 1986 में मैकेनिकल इंजीनयिर के रूप में इंडियन आर्मी में शामिल हुए थे. उस वक्त वो जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के पद पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की ओर से नियुक्त किये गये थे.
उनके वकील ने इस मामले को ट्विटर पर पोस्ट किया है. इस वीडियो में देखिये कैसे अजमल हक अपनी बात रख रहे हैं.
बता दें कि असम में कई फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं, जो प्रदेश में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने का काम करती है. ट्रिब्यूनल खासकर उन लोगों को पहचानने का काम कर रहे हैं, जो बांग्लादेश बनने के समय भारत में अवैध तरीके से प्रवेश कर गए थे.