नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के वक़ील अटॉर्नी जरनल के के वेणुगोपाल को कहा कि भाखड़ा नांगल बांध और पोंग बांध के निर्माण की वजह से हिमालय प्रदेश सरकार ने जो दावा किया है कि उंसको नुकसान हुआ है और इसके लिए उसे हर्जाना दिया जाए इस बाबत सौहार्दपूर्ण समाधान निकाले। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जरनल के के वेणुगोपाल को कहा कि वो सौहार्दपूर्ण तरीके से इस बात का समाधान निकाले जिसमें हिमालय प्रदेश सरकार ने हरियाणा और पंजाब सरकार से बांध परियोजनाओं को लेकर हुए नुकसान के लिए हर्जाना मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस बाबत अटॉर्नी जरनल के के वेणुगोपाल एक तारीख तय करेंगे और संबंधित राज्य सरकारों को आदेश दिया कि वो अपने जिम्मेदार अधिकारी को उस तारीख पर के के वेणुगोपाल के पास भेजेंगे ताकि इस पूरे मामले का
सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जा सके।
सुप्रीम कोर्ट हिमाचल प्रदेश सरकार के 1996 उस याचिका ओर सुनवाई कर रहा है जिसमें हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और पंजाब सरकार से बांध परियोजना को लेकर हर्जाना की मांग की है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपनी याचिका में कहा है।
भाखड़ा नांगल परियोजना से 10,000 एकड़ जमीन पानी में समाहित हो गए ( पानी का जलाशय) बन गए। जिसमें न सिर्फ खेती योग्य भूमि थी बल्कि, पेड़, जंगल, शहर, और सरकारी इमारतें भी थी। जिसकी वजह से बेरोज़गारी, खेती को नुकसान और सरकार को रेवेन्यू का नुकसान हुआ है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपनी याचिका में मांग की है कि उन्हें केंद्र सरकार, पंजाब सरकार, हरियाणा सरकार और राजस्थान सरकार 2199.77 करोड़ का मुआवजा दे। इतना ही नही इन दोनों परियोजना से जो बिजली मिल रही है उसका 12 प्रतिशत बिजली बिना किसी शुल्क के उन्हें दिया जाए।
हालांकि 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया था कि हिमाचल प्रदेश सरकार को 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली केवल इस लिये नही दी जा सकती कि परियोजना उसके राज्य में है। कोर्ट ने उस समय 7.19 प्रतिशत ही बिजली देने का आदेश दिया था।