सरसंघचालक मोहन भागवत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम 70 साल से स्वतंत्र हैं, फिर भी पहली बार अहसास हो रहा है कि भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि सारी दुनिया में हमारी साख बढ़ी है. उन्होंने कहा, ‘हमारी सुरक्षा के लिए सीमा पर जवान जान की बाजी लगाकर कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं. उनको कैसी सुविधाएं मिल रही हैं. उनको साधन संपन्न बनाने के लिए हमें अपनी गति बढ़ानी पड़ेगी. कार्यक्रम के दौरान भागवत ने गोरक्षा पर बोलते हुए गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों को आडे हाथों लिया. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में कानून एक्शन लेगा. भागवत ने कहा कि गोरक्षकों को डरने की जरूरत नहीं और अपने काम को अंजाम देते रहे. उन्होंने कहा कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा नहीं होनी चाहिए. गोरक्षा के नाम पर कानून तोड़ना ठीक नहीं है. गोरक्षा सांप्रदायिकता का सवाल नहीं है. गाय के नाम पर हिंसा को धर्म से ना जोड़ें. दूसरे धर्म से जुड़े लोग भी गोरक्षा से जुड़े हैं.
बता दें कि संघ की स्थापना 27 सितंबर, 1925 को विजयादशमी के दिन मोहिते के बाड़े नामक स्थान पर केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी. इसका मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है. संघ की पहली शाखा में सिर्फ 5 लोग शामिल हुए थे. आज देशभर में 50 हजार से अधिक शाखाएं और उनसे जुड़े लाखों स्वयंसेवक हैं.