दशहरा-मुहर्रम के दौरान माहौल खराब करने के लिए ‘छेड़खानी’ बम का अलर्ट

30 सितंबर को दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन और 1 अक्टूबर को मुहर्रम के दौरान ताज़िया जुलूस के दौरान माहौल खराब करने के लिए छेड़खानी और बदतमीजी का रंग बिगाड़कर उसे तनाव में बदला जा सकता है.

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दशहरा-मुहर्रम के दौरान माहौल खराब करने के लिए ‘छेड़खानी’ बम का अलर्ट

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  • September 29, 2017 4:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. 30 सितंबर को दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन और 1 अक्टूबर को मुहर्रम के दौरान ताज़िया जुलूस के दौरान माहौल खराब करने के लिए छेड़खानी और बदतमीजी का रंग बिगाड़कर उसे तनाव में बदला जा सकता है. इसलिए आप दिल्ली में रहते हों या देश के किसी और हिस्से में, ऐसी किसी भी अफवाह पर यकीन करने से ये पता कर लें कि ऐसी कोई वारदात असल में हुई है या नहीं, हुई भी है तो क्या वो इस वजह से हुआ जिस वजह से आपको भड़काया जा रहा है और जो भी हुआ है उस पर पुलिस ने क्या एक्शन लिया है. समाज, शहर, राज्य और देश का माहौल हमारे पास-परोड़ से बिगड़ता है इसलिए हम अगर अपना इलाका ठीक रख लेंगे तो देश में भी कहीं कुछ नहीं होगा.
 
 
सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली के सभी थानेदारों और पुलिस अधिकारियों को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन और मुहर्रम के ताज़िया जुलूस के मद्देनर जो अलर्ट जारी किया है उसमें छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देने कहा है जिसे गलत नीयत से सांप्रदायिक रंग देकर माहौल बिगाड़ने वाले सक्रिय हो जाते हैं. 30 सितंबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान छेड़खानी, भड़काऊ गानों को बजाना, जोर-जोर से गाना बजाना, मुसलमानों पर या मस्जिद व दरगाह पर गुलाल फेंकना और जुलूस को विवादित रास्ते से ले जाने की कोशिशों पर कड़ी नजर रखने की हिदायत दी गई है.
 
इसी तरह से 1 अक्टूबर को मुहर्रम के दौरान जब ताज़िया जुलूस निकलेगा तो उस दौरान जिन चीजों पर गंभीरता से ध्यान देने कहा गया है उनमें भड़काऊ नारे लगाना, हिन्दू बहुत इलाकों में लंबे समय तक ताज़िया को रोके रखना, ऊंचे ताज़िया को निकालने के लिए पीपल या बरगद के पेड़ को काटना और शिया व सुन्नी के बीच जुलूस के तौर-तरीके को लेकर आपसी बहस शामिल है.
 
 
पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने दुर्गा प्रतिमा विसर्जन और ताज़िया जुलूस के मद्देनजर तैयारियां पूरी कर रखी हैं और किसी भी छोटी-बड़ी सूचना को गंभीरता से लेने और उस पर फौरी एक्शन लेने का प्लान तैयार है. लेकिन आम लोगों की ऐसी चीजों में भूमिका ज्यादा बड़ी हो जाती है जो इस तरह की चीजों को आपसी संवाद और समझदारी से सुलझा सकते हैं. ऐसी कोई भी सूचना जो आप तक पहुंचे और उसका रंग घटना से अलग कुछ और बताया जा रहा हो, उस पर फौरन यकीन ना करें. कानून व्यवस्था को अपने हाथ में ना लें. कोई चीज गड़बड़ दिखे तो पुलिस को सूचना दें.

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