सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारियों की पूरी कहानी, जाबांज योद्धाओं की जुबानी

नई दिल्ली : 29 सितंबर का दिन भारत के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा. जी हां इसी दिन आज से ठीक एक साल पहले इंडियन आर्मी ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करते हुए दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया था. आज 29 सितंबर 2017 को पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को एक […]

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सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारियों की पूरी कहानी, जाबांज योद्धाओं की जुबानी

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  • September 29, 2017 7:15 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली : 29 सितंबर का दिन भारत के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा. जी हां इसी दिन आज से ठीक एक साल पहले इंडियन आर्मी ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करते हुए दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया था. आज 29 सितंबर 2017 को पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को एक साल पूरे हो रहे हैं. दुश्मन की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करना और बिना कोई नुकसान के वापस वतन लौट आना हर किसी के बस की बात नहीं है. सर्जिकल स्ट्राइक को स्पेशल कमांडों ने अंजाम दिया था. पूरे प्लान के तहत इसको अंजाम दिया गया. इसके लिए सेना दो-तीन दिन पहले से तैयारी में लग गई थी. 
 
उड़ी हमले के 10 दिन बाद भारतीय सेना के 18 जवानों ने दावा किया था कि उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में 29 सितंबर, 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. इस सर्जिकल स्ट्राइक में भारतीय जाबांजों ने पीओके में मौजूद आतंकियों के कई ठिकाने तबाह कर दिए थे. 29 सितंबर, 2017 जो सर्जिकल हड़ताल की पहली वर्ष की सालगिरह के मौके पर हमारे सहयोगी अंग्रेजी चैनल पर उस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने वाले भारतीय जाबांजों ने बताया कि किस प्रकार उन्होंने इस सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ी तैयारियों को अंजाम दिया था.
 
 
सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारियों के बारे में इस अभियान में शामिल जवानों ने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी के लिए, उन्होंने सबसे पहले अपने लक्ष्य के जैसा एक रेत का  मॉडल बनाया था. हमने उसी तरह के लक्ष्य को नष्ट करने की तैयारियों की रिहर्सल शुरु की जिस प्रकार से हम मैदान पर करते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे इस अभियान के लिएअ चुने गए जवानों ने कई रातों इस बात पर विचार किया कि किस प्रकार से पीओके में दाखिल होना है, पीओके में कैसे आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस करना है और फिर किस प्रकार दुश्मन के इलाके से सकुशल भारत में लौटना है. उन्होंने बताया कि ये पूरी रिहर्सल करीब दो दिन और दो रात चली.
 
जवानों ने बताया कि हालांकि हम सीमापार से सीजफायर उल्लंघन का लगभग हर रोज सामना करते है लेकिन ये अभियान कुछ अलग था. जिसके लिए हमें हटके तैयारियां करनी पड़ी. भारतीय सेना के ऐसे स्नाइपरों को चुना गया जिनका निशाना अचूक (लंबी दूरी के लक्ष्य पर) था. सभी हथियारों की ढंग से टेस्टिंग की गई. 
 
सर्जिकल स्ट्राइक में भाग लेने वाले एक जवान ने बताया कि ऑपरेशन के लिए मैंने अपनी मेडिकल बैग तैयार की. मेरे पास पहले से ही स्नाइपर हथियार था. मैंने सर्जिकल स्ट्राइक के लिएपहले ही लक्ष्य क्षेत्र देखा था. इसलिए, एक अनुमानित सीमा थी जिसमें हमें कवर करना था. जब मुझे पता चला कि यह वह सीमा है. जिसमें हम अपने दुश्मनों को नष्ट करना चाहते हैं. तो इसके लिए हमने इसका कई बार अभ्यास किया. उन्होंने बताया कि हमने सर्जिकल स्ट्राइक के समय किसी भी परिस्थति से निपटने के लिए अपने साथ हथियार और साजो सामना रख लिया था.  

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