नई दिल्ली: दुश्मन देश पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को एक साल पूरे हो रहे हैं. दुश्मन की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करना और बिना कोई नुकसान के वापस वतन लौट आना हर किसी के बस की बात नहीं है.सर्जिकल स्ट्राइक को स्पेशल कमांडों ने अंजाम दिया था. पूरे प्लान के तहत इसकों अंजाम दिया गया. इसके लिए सेना दो-तीन दिन पहले से तैयारी में लग गई थी.
न्यूज एक्स चैनल को दिए इंटरव्यू में सर्जिकल स्ट्राइक के जवानों ने बताया उनको इसके लिए किस प्रकार की तैयारी करनी पड़ी. बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले जवानों को किस प्रकार से तैयार होना पड़ा था. पूरी जानकारी जवानों ने खुद बताई.
किस प्रकार के कपड़े पहने थे जवान?
जवानों ने दिए अपने इंटरव्यू में बताया कि कैसे वो खुद को ऑपरेशन के लिए तैयार किए. सर्जिकल स्टाइक की टीम ने बताया कि ऑपरेशन के लिए उनको स्पेशल यूनिफॉर्म दिया गया था. जो कि स्पेशल प्रोग्राम्स के लिए थे. जबकि ऑपरेशन से पहले जवानों को पूरी बाही की टी-शर्ट और ट्राउजर दिया गया था जिससे की वो खुद को फ्री रहें और लोकल फोर्स में घुले मिले दिखे, जिससे की किसी को भनक न लगे कि वहां कोई विशेश बल नहीं है.
ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए जवानों ने पूरी प्लानिंग के तहत काम किया. ऑपरेशन को अंजाम देने से 24 घंटे पहले जवानों ने ताजा भोजन किया और एनर्जी ड्रिंक लिए. बहुत सारे चॉकलेट और उर्जा प्रोटीन बार भी लिए. इसके साथ-साथ जवानों ने अपने साथ उन चीजों को ले जाना ठीक समझा जो ज्यादा आवाज न करती हो. उनके भोजन में ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे वो रोजाना इस्तेमाल करते हैं. सब कुछ स्पेशल था. सभी उसे साथ ले गए खासकर एनर्जी ड्रिक्स और एनर्जी बार्स.
इस ऑपरेशन के लिए आर्मी चार दिन पहले से तैयारी में जुटी थी. सभी लोग 5-6 लीटर पानी लेकर साथ गए थे. सर्दी के दिन थे इसलिए पानी की खपत की कम थी. जवानों को पहले दिन सामान्य भोजन किया जो कि बटालियन में मिलता है. जबकि अगले दिन के लिए पुड़ी और सब्जी और उसके अगले दिन के लिए ड्राइ फुड्स इत्यादि लिए.
सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल सभी जवान बराबर के भार वाले सामान लिए थे जिसमें कि हथियार, गोला बारूद, निजी सामान और राशन शामिल था.
टीम के लिए भारतीय सेना ने अपने विशेष दस्ते के हथियार और व्यक्तिगत हथियार अपने हाथ में लिए थे. सभी के अपने-अपने रॉकेट लॉन्चर थे और सभी के अपने-अपने मैगजीन थे. जवानों के पास कुछ पर्सनल हथियार भी थे जिसमें असॉल्ट राइफल, मशीनगन और रॉकेट लॉन्चर.
कम्यूनिकेशन
सर्जिकल स्ट्राइक के जवानों से संपर्क साधने के लिए भारतीय सेना का आंतरिक संचार सिस्टम था. जिसकी सहायता से बड़े अधिकार लगातार जवानों के संपर्क में थे. इसी के सहारे ऑपरेशने के जवान ऑपस में कोआर्डिनेशन करते थे.
यूएवी से निगरानी
यूएवी (unmanned aerial vehicle) की सहायता से हायर हेडक्वार्टर के अधिकारी पूरी स्थितियों पर नजर बनाए रखे थे. हालांकि जवानों को यह पता नहीं था लेकिन उन्हें बाद में बताया गया कि यूएवी की सहायता से उच्चतम मुख्यालय इसकी निगरानी कर रहा था.
दरअसल ऑपरेशन के वक्त जवानों ने यूएवी को अपने उपर उड़ते देखा, जिसकी सूचना कमांडर को दी क्योंकि उनको यूएवी के बारे में कोई जानाकारी नहीं थी. क्योंकि उनको लगा कि कही ये पाकिस्तान की तो नहीं है. तब कमांडर ने बताया कि नहीं ये अपना ही है जो ऑपरेशन की निगरानी में लगा हुआ है.
जवानों ने बताया कि यूएवी लगभग 30-35 हजार फीट की उचाई पर उड़ रहा था. आवाज से लग रहा था जैसे 2-3 यूएवी उड़ रहे हैं. लेकिन वो जिस इलाके में थे वो एक घना जंगल था, इसलिए यूएवी ज्यादा कारगर नहीं थे, खुले इलाके में यूएवी ज्यादा अच्छी तरह से पता लगाने में सक्षम हैं. हालांकि इस संबंध में विस्तृत जानकारी उच्च मुख्यालयों को रही होंगी. फिर सैनिकों को अपनी भूमिका के बारे में पूरी जानकारी थी कि उन्हें जमीन पर कब क्या करना है.