पटना: बिहार में कांग्रेस का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए गए अशोक चौधरी के साथ पार्टी के कई विधायक लामबंद होने लगे हैं. आज नए प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी के पदभार ग्रहण के मौके पर पार्टी के कुल 27 विधायकों में से 26 विधायक नदारद रहे.
बताया जा रहा है कि पार्टी के कम से कम 15 MLA और MLC ने अशोक चौधरी के आवास पर जाकर मीटिंग की. हालांकि इन विधायकों का नाम जाहिर नहीं किया गया है. दरअसल बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस विधायकों का एक बड़ा धड़ा लालू के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं है.
इन विधायकों का मानना है कि लालू की छवि से पार्टी को नुकसान हो सकता है, इसलिए पार्टी को फिलहाल राज्य में किसी के साथ नहीं जाना चाहिए. दरअसल महागठबंधन टूटने के बाद से ही कांग्रेस आलाकमान को ये आशंका सता रही थी कि विधायकों का असंतोष पार्टी में टूट पैदा कर सकता है. डैमेज कंट्रोल के लिए राहुल गांधी ने 6 सितंबर को सभी विधायकों को दिल्ली में मिलने बुलाया था.
हालांकि दो दिनों में कुल 27 में से 20 विधायक ही राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे. राहुल ने सबसे वन टू वन बातचीत की. फीडबैक में आलाकमान को लगा कि पार्टी तोड़ने में अशोक चौधरी भूमिका निभा रहे हैं. इसके बाद बिना देर किए अशोक चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया लेकिन इन सब कोशिशों के बावजूद कांग्रेस का संकट अभी टला नहीं है.
पद से हटाए जाने के बाद अशोक चौधरी ने कहा कि हम पार्टी के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन जिस तरह से अपमानित करके निकाला गया, वह सहीं नहीं था. वो एक सम्मानजनक विदाई के हकदार थे. चौधरी ने कहा कि अभी हमारा पार्टी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन यह भी मंजूर नहीं है.
बता दें कि नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस ने 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ा था, मगर लालू यादव के बेटे डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप का आधार बनाकर नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़ दिया था और बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बना ली.