नई दिल्लीः अटल सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर जमकर निशाना साधा है. सिन्हा ने कहा कि जेटली ने देश की अर्थव्यवस्था का कबाड़ा कर दिया है. अगर वह अब भी चुप रहे तो यह राष्ट्रीय कर्तव्यों के साथ बेईमानी करने जैसा होगा.
एक अंग्रेजी अखबार में लिखे लेख में उन्होंने चरमराती अर्थव्यवस्था को लेकर मौजूदा वित्त मंत्री अरूण जेटली पर जमकर निशाना साधा और सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, आज के समय में ना ही नौकरी मिल रही है और ना विकास की गति पहले जैसी है. इनवेस्टमेंट सबसे निम्न स्तर पर पहुंच चुका है और जीडीपी का भी बुरा हाल है. नई नौकरियां पैदा नहीं हो पा रही हैं.
सिन्हा ने आगे कहा, जीएसटी को ठीक तरीके से लागू नहीं किया गया, जिसके कारण नौकरी और बिजनेस पर काफी नकारात्मक फर्क पड़ा है. यशवंत सिन्हा ने जेटली पर तंज कसते हुए लिखा कि पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है. ऐसा लगता है कि उनके वित्त मंत्री ओवर-टाइम काम कर रहे हैं ताकि वह सभी भारतीयों को काफी नजदीक से गरीबी दिखा पाएं.
यशवंत सिन्हा ने आगे कहा कि नोटबंदी ने गिरती जीडीपी में आग में घी डालने जैसा काम किया है. सिन्हा केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए लिखते हैं, ‘मुझे यह भी मालूम है कि जो मैं कह रहा हूं, बीजेपी के ज्यादातर लोगों की यही राय है लेकिन वह लोग डर की वजह से खुलकर बोल नहीं पा रहे हैं.’
साल 2014 में जेटली लोकसभा चुनाव हार गए लेकिन उसके बावजूद यह तय माना जा रहा था कि नई सरकार में वह कैबिनेट का अहम चेहरा होंगे और वित्त मंत्रालय संभालेंगे. चुनाव हारने के बाद भी उन्हें कोई मंत्री बनने से नहीं रोक सका. इससे पहले वाजपेयी सरकार में जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन को भी वाजपेयी करीबी होने के बावजूद मंत्री नहीं बनाया गया था.
सिन्हा ने कहा कि मैंने वित्त मंत्रालय संभाला है, मुझे पता है कि यह आसान काम नहीं है. यह एक वो काम है, जिसे जेटली जैसे सुपरमैन भी पूरा नहीं कर सकते. सिन्हा ने कहा कि दिखावा और धमकी चुनाव के लिए ठीक है पर वास्तविक हालात में यह सब गायब हो जाता है. अपने लेख में उन्होंने प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के पुनर्गठन का भी जिक्र किया. वह लिखते हैं कि मौजूदा हालातों को देखते हुए आर्थिक सलाहकार परिषद से ज्यादा उम्मीद न लगाएं तो बेहतर होगा क्योंकि किसी भी देश में अर्थव्यवस्था सुधारने में एक लंबा वक्त लगता है.
पूर्व वित्त मंत्री के इस बयान के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी मौजूदा सरकार से सवाल किया है. उन्होंने पूछा कि क्या अब सरकार के पास इस सच को स्वीकारने का साहस है?