नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में हुई घटनाओं पर राज्य के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी और विश्वविद्यालय के वीसी के को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते के भीतर रिपोर्ट मांगा है.
बता दें कि बीएचयू में बीते गुरुवार को एक लड़की से छेड़खानी के बाद बवाल मच गया था. छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया. शनिवार रात शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही छात्राओं पर पुलिस ने लाठियां बरसा दी. जिसमें कुछ छात्राओं को चोटें भी आई हैं. छात्राओं का दल रविवार को शांति मार्च निकाल रहा था.
यहां भी पुलिस पहुंच गई और छात्रों को खदेड़ दी. फिलहाल पूरे कैंपस में पुलिस की तैनाती कर दी गई है. स्थिति को काबू करने के लिए शहर के अन्य कॉलेजों को दशहरा तक के लिए बंद कर दिया गया है. इसके साथ ही तीन एसएसपी, छह सीओ, पंद्रह थानेदार और 150 दरोगा की तैनाती की गई है. साथ में पांच कंपनी पीएसी और 1000 से अधिक अतिरिक्त पुलिस कर्मी की तैनाती की गई है. बीएचयू में हुए लाठी चार्ज को लेकर माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है.
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इस पूरे विवाद के दौरान बीएचयू के वीसी जी.सी. त्रिपाठी चुप्पी साधे रहे. सोमवार को जी.सी. त्रिपाठी मीडिया के सामने आए और उन्होंने इस मामले में हो रही राजनीति के पीछे बाहरी तत्वों का हाथ बताया. वीसी त्रिपाठी मानते हैं कि बीएचयू कैंपस लड़कियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है और पीएम मोदी की वाराणसी यात्रा का माहौल खराब करने के लिए यह पूरा प्रकरण रचा गया था.
द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, वीसी जी.सी. त्रिपाठी ने छात्रा से छेड़छाड़ की घटना की निंदा की. उन्होंने कहा, कई बार मुद्दे जान-बूझकर बनाए जाते हैं. और इस मामले में ऐसा ही है. वास्तविक घटना से ज्यादा इसके बाद जो कुछ हुआ वो दुखदायी था.