नई दिल्लीः टेरर फंडिंग मामले में अलगाववादी नेता शब्बीर शाह के करीबी असलम वानी ने सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली है. असलम वानी ने कोर्ट में कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दो दिन पहले इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है. ऐसे में नए आधारों के साथ वह फिर से जमानत अर्जी दाखिल करेंगे.
इससे पहले ईडी ने अपना जवाब दाखिल करते हुए वानी की जमानत का विरोध किया था. ईडी ने कोर्ट को बताया था कि अलगाववादी नेता शब्बीर शाह के खिलाफ जांच महत्वपूर्ण मोड़ पर है. ऐसे समय में अगर वानी को जमानत दी गई, तो वह गवाहों को धमका सकता है और साक्ष्यों को नष्ट कर सकता है. बता दें कि असलम वानी ने बीते 5 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी जमानत अर्जी दाखिल की थी.
22 अगस्त को टेरर फंडिंग मामले में शब्बीर शाह की भी जमानत अर्जी खारिज की गई थी. दरअसल कश्मीर के अलगाववादी नेता शब्बीर शाह के खिलाफ ईडी ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में 700 पेज की चार्जशीट दाखिल की है. ईडी ने इस मामले में चार्जशीट में 19 लोगों को गवाह बनाया है. दरअसल ईडी ने 2005 के मनी लॉन्ड्रिंग केस में आतंकवाद के लिए फंडिंग करने वाले पाकिस्तान के हवाला डीलर से संपर्क को लेकर शब्बीर शाह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.
एडिशनल सेशन जज सिद्धार्थ शर्मा के समक्ष पेश हुई चार्जशीट में कथित हवाला डीलर मोहम्मद असलम वानी का भी नाम है. शाह और वानी इस समय न्यायिक हिरासत में हैं. शाह को 25 जुलाई को श्रीनगर से गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली की अदालत में पेश किया गया था. वहीं बीते 26 अगस्त को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने वानी को 63 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया था. ईडी ने आरोपपत्र में हवाला कारोबारी मोहम्मद असलम वानी पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.
चार्जशीट के अनुसार, वानी पाकिस्तानी हवाला कारोबारी शफी शैयार से हवाला के जरिए रकम ले रहा था और उसे शाह को भेज रहा था. यह बात खुद वानी ने कबूल की है. ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, शब्बीर शाह ने पूछताछ में बताया है कि उसकी हाफिज सईद से फोन पर आखिरी बार बातचीत इसी साल जनवरी में हुई थी.