नई दिल्ली : रोहिंग्या के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल कर मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश दे कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी जैसे अवैध शरणार्थियों और घुसपैठियों की पहचान कर, उन्हें हिरासत में लेकर एक साल के भीतर वापस भेजा जाए. बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय ने दाखिल की है याचिका. सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है. मुख्य मामले के साथ 3 अक्टूबर को करेगा सुनवाई.
अश्वनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में मांग की है सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को आदेश दे कि अवैध शरणार्थियों और घुसपैठियों के ख़िलाफ़ कानून में बदलाव कर इसे गैर ज़मानती और संघीय अपराध बनाया जाए.
याचिका में ये भी मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को आदेश दे की फ़र्जी आधार कार्ड, पेन कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर कार्ड जैसे पहचान पत्र को लेकर कानून में बदलाव कर, इसे भी गैर ज़मानती और संघीय अपराध बनाया जाए.
याचिका में ये भी मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को आदेश दी कि अवैध शरणार्थियों और घुसपैठियों के जिन लोगों (ट्रैवल एजेंट, सरकारी अधिकारी आदि) ने भी फ़र्जी आधार कार्ड, पेन कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर कार्ड जैसे पहचान पत्र बनाये है उनकी पहचान कर उन्हें ख़िलाफ़ करवाई की जाए.
याचिका में कहा गया है कि देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की के जिम्मेदारी है कि वो घुसपैठियों और अवैध शरणाथियों को वापस भेजे.
याचिका में कहा गया है की कुछ रोहिंग्या हुंडी और हवाला कारोबार में शामिल है. इनमें से कुछ ऐसे भी है जो दूसरे रोहिंग्यो के फ़र्जी दस्तावेज़ बनवाकर उन्हें भारत में ला रहे है. ये मानव तस्करी को बढ़ावा दे रहे है.