नई दिल्ली: आज भले ही हमारा देश काफी आगे बढ़ चुका है और देश के हर काम में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. लेकिन एक वो दौर भी था जब महिलाओं को पर्दे से बाहर भी नहीं निकलने नहीं दिया जाता है. वो दौर था 1920 और 1930 का. जी हां जिस दौर में लड़िकयों को पढ़ने तक नहीं दिया जाता था उस वक्त एक महिला ऐसी थी जिसने समाज से लड़ते हुए साइंस में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की. वो कोई और नहीं बल्कि डॉ. आशिमा चटर्जी हैं.
जी हां डॉ. आशिमा चटर्जी का जन्म 23 सितंबर 1917 को कोलकाता में हुआ था. डॉ. आशिमा चटर्जी साइंस में डॉक्टरेट की उपाधि पाने वाली पहली भारतीय महिला हैं. आज उनका 100वां जन्म दिन है.
खास बात यह है कि साइंस में डॉक्टरेट की उपाधि पाने वाली पहली भारतीय महिला डॉ. आशिमा चटर्जी के 100वें जन्मदिन पर गूगल ने एक खास डूडल बनाकर उन्हें याद श्रद्धांजलि दी है.
डॉ. चटर्जी ने मुख्य रूप से भारत के पौधों के औषधीय गुणों का अध्ययन किया. उन्होंने वेनेका अल्कोडिश (vinca alkaloids) को शोध के लिए चुनकर कई गंभीर बिमारियों में इसके उपयोग को साबित किया.
आज के समय में वेनेका अल्कोडिश का ही इस्तेमाल कैंसर के उपचार के दौरान कीमोथेरेपी के लिए किया जाता है. इतना ही नहीं अपने करियर में डॉ. चटर्जी ने मलेरिया जैसी बीमारियों से निपटने की दवाइयों पर रिसर्च किया. डॉ. चटर्जी को भारत सरकार की तरफ से पद्म भूषण के सम्मान से भी नवाजा गया था.