पंजाब. देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को महिला सशक्तिकरण की वकालत करते हुए कहा कि प्राचीन भारत में मां दुर्गा रक्षा मंत्री थीं और देवी लक्ष्मी वित्त मंत्री थीं. बता दें कि नायडू मोहाली में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्टूडेंट्स को अपने विरासत पर गर्व करना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि दूसरी भाषा में तभी बोले, जब सामने वाला व्यक्ति आपकी मातृभाषा को न समझे. उन्होंने कहा कि आदर्श शासन की वजह से ही ‘राम राज्य’ को अभी भी हमारे इतिहास के सबसे महान काल के रूप में माना जाता है. मगर आज कोई इस बारे में बात करता है तो उसे सांप्रदायिक एंगल दे दिया जाता है.
उपराष्ट्रपति ने ये भी स्वीकार किया कि वे हमेशा राजनीतिक रूप से सही नहीं थे. उन्होंने कहा कि मेरे आस-पास के लोग मुझे याद दिलाते हैं कि अब मुझे दिल से बातें नहीं करनी चाहिए. अब मैं देश का उप राष्ट्रपति हूं. मगर अगर मैं दिल से अपनी बात नहीं करूंगा तो ये बात और बढ़ जाएगी और ये मेरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होगा.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ समय तक “बढ़ती असहिष्णुता” और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस हुई थी, लेकिन समाज को अधिक असहिष्णु के रूप में बढ़ाना गलत था.
उन्होंने कहा कि कुछ लोग अफजल गुरु को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हैं. लोकतंत्र में हमें अपने विचार को अभिव्यक्त करने का अधिकार भी है. मगर ये विचार भी संविधान की सीमा में रहकर ही होनी चाहिए. उनकी अभिव्यक्ति की आजादी की सीमा होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बचाए रखने के नियम-कानून की जरूरत होती है. किसी भी व्यक्ति की गरीमा-प्रतिष्ठा अहम होती है मगर ये कभी भी देश की एकता से ऊपर नहीं होनी चाहिए.
नायडू ने कहा कि भारतीय समाज दूसरों के सामने काफी सहिष्णु रहा है. विचार और विविधता इस देश की सुंदरता रही है. हमारा संविधान एक हर किसी को अपने धर्म मानने की स्वतंत्रता देता है. साथ ही भले ही कोई किसी धर्म, जाति और संप्रदाय से हो सबको समानता का अधिकार की गारंटी देता है. धर्मनिरपेक्षता भारत में मजबूत है तो सिर्फ संविधान की वजह से नहीं, बल्कि धर्मनिरपेक्षता भारतीयों के डीएनए में है और समाज कभी भी इसे बढ़ती असहिष्णुता के रूप में प्रसारित नहीं कर सकता.
इस दौरान उपराष्ट्रपति ने एनडीए सरकार की स्मार्ट सिटी, जन धन योजना जैसी उपलब्धियों को भी गिनाया. उन्होंने कहा कि भले ही वो राजनीति से सन्यास ले चुके हैं, मगर वो थके नहीं हैं.