NGT ने पर्यावरण मंत्रालय के डायरेक्टर के खिलाफ जारी किया जमानती वारंट

नई दिल्लीः राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण मंत्रालय के निदेशक सुनामनी केरेकेट्टा पर सख्त कदम उठाते हुए जमानती वारंट जारी किया है. यह वारंट पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना के बावजूद कार्बन उत्सर्जन मानकों के पालन से संबधित एक सुनवाई के दौरान प्राधिकरण के आदेश का पालन नहीं करने की वजह से जारी किया गया है.
21 सिंतबर को एनजीटी ने यह आदेश ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेनर सुनील दहिया द्वारा मई 2016 में की गयी याचिका की सुनवाई के दौरान दिया. इससे पहले 11 और 18 सिंतबर, 2017 को सुनवाई करते हुए एनजीटी ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भ्रामक रिपोर्ट देने के लिये फटकार लगाते हुए पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी को हलफनामा दाखिल करने के लिये कहा था.
ग्रीनपीस कैंपेनर सुनील दहिया ने कहा, “एनजीटी द्वारा दिया निर्देश स्वागत योग्य है. सरकार थर्मल पावर प्लांट के लिये बने कार्बन उत्सर्जन मानकों का पालन करवाने में उदासीन दिख रही है, जो सरासर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है. दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाले कार्बन उत्सर्जन भी उतने ही जिम्मेवार हैं, जितना की परिवहन व्यवस्था.”
ग्रीनपीस कार्यकर्ता सुनील दहिया ने केस दायर कर मंत्रालय को कार्बन उत्सर्जन मानकों को लागू नहीं करवाने के लिये चुनौती दी थी. मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना से उम्मीद थी कि इन पावर प्लांट्स के द्वारा प्रदूषण को कम करने वाले उपकरण लगाए जाएंगे और सल्फर डॉइआक्साइड, नाइट्रोजन, मर्करी जैसे खतरनाक प्रदूषक घटकों को कम उत्सर्जित करके लोगों के स्वास्थ्य को बचाया जा सकेगा.
अधिसूचना में इन पावर प्लांट से पानी की खपत को कम करने के लिए भी कहा गया था. साल 2015 में पर्यावरण मंत्रालय ने 1 जनवरी और 7 दिसंबर, 2017 तक समय सीमा तय की थी. जिससे नए और पहले से मौजूद कोयला जनित पावर प्लांट वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करना है. पर्यावरण मंत्रालय के हलफनामे के अनुसार 16 पावर प्लांट इस साल बनाए गए, जिसमें से एक ने भी मानकों का पालन नहीं किया है.
सुनील ने आगे कहा, “पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार ही पावर प्लांट नियमों और उत्सर्जन मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं. इसके अलावा वे पावर प्लांट भी हैं, जिन्हें 7 दिसंबर से पहले इन मानकों का पालन करना है. पर्यावरण मंत्रालय इनके उल्लंघन पर मौन साधे हुए है. यहां सवाल यह है कि सरकार क्या उत्सर्जन मानकों का उल्लंघन करने वाले पावर प्लांट्स के खिलाफ कार्यवाही करेगी, जिनसे जनता के स्वास्थ्य को खतरा है या फिर इन उल्लंघनों के प्रति अपनी आँखें बंद रखेगी.” बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई अब 4 अक्टूबर को होगी.
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