नई दिल्ली: नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग का अडियल रवैय्या तो वहीं अमेरिका का सख्त लहजे में नॉर्थ कोरिया को चेतावनी देना.और इन सबके बीच रूस का पूरी ताकत के साथ जंग के मैदान में उतर जाना. इन सब बातों साफ जाहिर है दुनिया में बहुत तेजी से हालात बदल रहे हैं.
खतरनाक जंग की भूमिका बनती हुई साफ साफ दिखाई दे रही है. लेकिन सवाल तो ये कि रूस ने अपने साथ बेलारूस के साथ मिलकर एक मुल्क को खाक में क्यों मिला दिया.
इस जंग में तबाही कितनी भयानक होने वाली है इसका अंदाजा इस जंगी बेड़े को देखकर लगाया जा सकता है. रूस के बैटल टैंक सरहद पर पहुंच चुके हैं और गोलीबारी शुरू हो चुकी है. लेकिन किसी मुल्क को पूरी तरह खत्म करने के लिए जमीनी जंग ही काफी नहीं है. लिहाजा इस बार आसमानी हमले की तैयारी है.
दरअसल, रूस ने अपने किसी भी दुश्मन को तबाह करने के मिलिट्री एक्सरसाइज की थी और एक काल्पनिक देश बनाकर उसे बेलारूस के साथ मिलकर तबाह किया. लेकिन ऐसा ढाई दशक बाद हुआ है जब रूस ने इतनी जबरदस्त मिलिट्री एक्सरसाइज की और खुद पुतिन इस पर नज़र बनाये हुये थे.
मिलिट्री एक्सरसाइज की इन तस्वीरों को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि हाल फिलहाल इतने बड़े स्तर पर किसी मुल्क ने युद्धाभ्यास नहीं किया है. लिहाजा हैरानी इस बात को लेकर की इसके पीछे रूस का इरादा क्या है. क्या सिर्फ मकसद ताकत दिखाना था या फिर कुछ और. रूस की ताकत ने पश्चिमी देशों को भी हैरत में डाल दिया है.
पश्चिमी देशों को डर था कि रूस इस अभ्यास के बहाने बेलारूस में NATO के सदस्य देशों की सीमाओं पर स्थायी तौर पर अपनी सेना तैनात करने की योजना बना रहा है हालांकि, बेलारूस ने साफ किया कि 30 सितंबर तक रूस के सभी सैनिक बेलारूस छोड़ देंगे.
रूस के युद्धाभ्यास ने दुनिया के माहौल को एकाएक बदल दिया है. इसकी बड़ी वजह है रूस की खामोशी. जी हां, रूस ने युद्धाभ्यास क्यों किया. इसे लेकर अभी तक चुप्पी साध रखी है. वहीं किम जोंग को लेकर भी रूस ने अभी तक रूख साफ नहीं किया है. मतलब ये कि मिलिट्री एक्सरसाइज के पीछे आखिर रूस की मंशा क्या है
बड़ा सवाल ये है कि क्या रूस किम जोंग की हरकतों का समर्थन कर रहा है. या फिर नॉर्थ कोरिया के खिलाफ खड़ा है .क्योंकि अमेरिका खुलकर तानाशाह का विरोध कर रहा है..जबकि रूस इसपर चुप्पी साधे हुए है. इसीलिए रूस की इस मिलिट्री एक्सरसाइज पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई हैं.