पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम को लेकर AAP का देशव्यापी प्रदर्शन, 22 सितंबर से मनाएगी विरोध सप्ताह

नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ देश भर में आम आदमी पार्टी 22 से 30 सितम्बर तक विरोध सप्ताह मनाएगी. जिसके तहत 22 सितम्बर को राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. दिल्ली की सभी विधानसभाओं में पार्टी के कार्यकर्ता बढ़ते तेल के दामों का विरोध करेंगे. 26 सितम्बर को आम आदमी पार्टी के सभी पार्षद पेट्रोलियम मंत्रालय का घेराव करेंगे और 30 सितबंर को दिल्ली के सभी 272 वॉर्ड में महंगाई का पुतला दहन किया जाएगा.
पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में प्रेस कॉंफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने कहा कि ‘कल जब आम आदमी पार्टी के सभी विधायक एक ज्ञापन पेट्रोलियम मंत्रालय में देने के लिए गए थे तो ना तो वहां मंत्रालय के किसी भी प्रतिनिधि ने ज्ञापन को लिया और उपर से दिल्ली की जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को गिरफ्तार कर लिया गया था.
बाद में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बयान जारी कर कहा कि पेट्रोल को सस्ता करने के लिए राज्य सरकारें अपना वैट घटाएं. आम आदमी पार्टी वित्त मंत्री की इस बात से सहमत नहीं है. पिछले तीन साल में मोदी सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद शुल्क में 150% की बढ़ोतरी की, उत्पाद शुल्क को कम करे केंद्र सरकार.
गोपाल राय ने वित्त मंत्री से पूछे ये पांच सवाल
1.  क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार ने जुलाई 2014 से अब तक पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 150 प्रतिशत बढ़ा दिया है, जो पहले जीडीपी का 0.4% था वो अब 1.4% हो गया है?
2.  क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार ने अब तक 9 बार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया है?
3.  क्या यह सच नहीं है कि पेट्रोल और डीज़ल से सरकार की कमाई मोदी सरकार के कार्यकाल में तीन गुना से ज्यादा बढ़ गई है?
4.  अगर राज्य सरकारों को अपने वैट में कटौती कर पेट्रोल सस्ता करना पड़े तो फिर तेल कम्पनियां केंद्र सरकार के कब्ज़े में क्यों है? राज्यों के पास क्यों नहीं?
5.  भाजपा ने देश के लोगों को धोखा क्यों दिया और 2014 के चुनाव में यह क्यों नहीं बताया कि पेट्रोल और डीज़ल के दाम कम नहीं हो सकते?
इन तीन मांगों को तुरंत लागू करने की मांग
1– पेट्रोलियम उत्पादों के रीटेल प्राइस को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में मिलने वाले कच्चे तेल के दाम के अनुसार तय किया जाए और उसके साथ लिंक कर दिया जाए और साथ ही तेल कम्पनियों पर केंद्र सरकार नियंत्रण करे.
2– पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद शुल्क पिछले तीन साल में 150 प्रतिशत बढ़ाया है, उसे तुरंत प्रभाव से कम किया जाए.
3– वित्त मंत्री जो राज्य सरकारों से वैट कम कराने की बात कर रहे हैं, पहले वो बीजेपी शासित राज्य जैसे महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश. जैसे राज्यों की सरकारों से कहकर वैट को कम कराएं बाद में दूसरों को सलाह दें.
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