नई दिल्ली: प्रद्युम्न हत्याकांड के बाद स्कूलों में अब टीचर्स और स्टाफ की मनोवैज्ञानिक जांच कराई जाएगी ताकि ये पता लग सके कि बच्चों के बीच कोई आपराधिक प्रवृति का स्टाफ तो मौजूद नहीं है. इसके लिए कौशल विकास मंत्रालय के तहत आने वाले सिक्युरिटी सेक्टर स्किल डेवलपमेंट काउंसिल यानि SSSDC ने CBSE को चिट्ठी लिखी है.
इसमें कहा गया है कि काउंसिल स्कूलों में तीन दिनों का शॉर्ट टर्म कोर्स चलाएगा. इसके जरिए स्कूल के मैनेजर और प्रिंसिपल को साइकोमेट्रिक टेस्ट के लिए ट्रेन किया जाएगा. ट्रेनिंग के बाद प्रिंसिपल अपने स्कूल के स्टाफ की काउंसलिंग करेंगे. काउंसलिंग के जरिए वो क्रिमिनल मेंटिलिटी वाले लोगों का आसानी से पता लगा सकेंगे.
आपको बताते हैं कि ये साइकोमेट्रिक टेस्ट होता क्या है ?
दरअसल जिस शख्स पर ये टेस्ट किया जाना होता है उसकी काउंसलिंग की जाती है. काउंसलिंग के लिए एक्सपर्ट सवालों की एक लिस्ट तैयार करते हैं. इन सवालों के आधार पर शख्स के व्यवहार और उसकी आदतों का Evaluation किया जाता है. काउंसलिंग के जरिए ये पता लगाया जाता है कि संबंधित शख्स क्रिमिनल मेंटलिटी का तो नहीं है। वो झूठ कितनी बार बोलता है.
वो अपना काम मन से करता है या फिर उसे कामचोरी की आदत है. संबंधित शख्स नशा करता है या नहीं. अगर नशा करता है तो उसका उसपर क्या असर होता है. पोर्नोग्राफी देखने पर उसमें क्रिमनल इमोशंस तो नहीं आते ?
क्या था मामला ?
गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में 8 सितंबर को 7 साल के बच्चे प्रद्युमन की हत्या कर दी गई थी. प्रद्युमन की बॉडी टॉयलेट में मिली थी. इस मामले में हरियाणा पुलिस ने स्कूल बस के कंडक्टर अशोक कुमार को गिरफ्तार कर लिया था. बता दें कि 8 महीने पहले ही आरोपी अशोक स्कूल में कंडक्टर की नौकरी पर लगा था.
अशोक ने बताया कि मेरी बुद्धि खराब हो गई थी. मैं स्कूल के बच्चों के टॉयलेट में था. वहां मैं गलत काम कर रहा था. तभी वह बच्चा आ गया. उसने मुझे गलत काम करते देख लिया. सबसे पहले तो मैंने उसे धक्का दिया. फिर अंदर खींच लिया. वह शोर मचाने लग गया, इससे मैं काफी डर गया. फिर मैंने बच्चे को दो बार चाकू से मारा और उसका गला रेत दिया.