नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जरूरी मामलों की जल्द सुनवाई के लिए मेंशनिंग पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने साफ कर दिया है कि वरिष्ठ वकीलों को सुबह के वक्त जरूरी मामलों में मेंशनिंग की इजाजत नहीं होगी और सिर्फ एडवोकेट ऑन रिकार्ड ही ये मेंशनिंग कर पाएंगे.
दरअसल मंगलवार को चीफ जस्टिस की कोर्ट में इस बात पर कहासुनी हो गई थी. ये मेंशनिंग कोर्ट शुरु होने के 20 मिनट तक ही चलती है. चूंकि चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक हेड हैं इसलिए लिस्टिंग के लिए या टैगिंग आदि के लिए उनकी कोर्ट में ही मेंशनिंग की जाती है.
बता दें कि मेंशनिंग की प्रथा कोई लिखित नियम नहीं है. जस्टिस वैकेंटचलैया और जस्टिस अहमदी के चीफ जस्टिस रहने के वक्त वरिष्ठ वकीलों द्वारा मेंशनिंग परंपरा पर रोक लगी थी. लेकिन बाद में कई वरिष्ठ वकीलों ने ये शुरु किया क्योंकि मेंशनिंग के लिए वो फीस भी लेने लगे.
चूंकि इस दौरान वरिष्ठ वकीलों को ही प्राथमिकता दी जाती रही तो मेंशनिंग का 20 मिनट का वक्त वरिष्ठ वकीलों द्वारा ही ले लिया जाता और जूनियर वकील काफी वक्त से लाइन में खडे होने के बावजूद वापस लौट जाते. मंगलवार को मेंशनिंग के वक्त लाइन में फंसे वकील और चीफ जस्टिस के बीच इस मुद्दे को लेकर बहस भी हुई.
दरअसल वकील ने वरिष्ठ वकीलों द्वारा मेंशनिंग का सारा वक्त लेने और गैर सीनियर वकीलों को मौका ना मिलने पर आपत्ति जाहिर की थी. वकीलों ने कहा कि ऐसे में वो लोग पीछे रह जाते हैं जो वरिष्ठ वकीलों को फीस नहीं दे पाते और तय वक्त में मेंशनिंग नहीं कर पाते. वकील ने चीफ जस्टिस को कहा कि वो 30 मिनट से लाइन में लगे हैं लेकिन उनकी याचिका की जल्द सुनवाई की मेंशनिंग का मौका नहीं आया.