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नेवी की ताकत देख दुश्मन देश के उड़े होश, 70 हजार करोड़ के ब्रह्मास्त्र से कांपा चीन !

हिंद महासागर से अरब सागर तक विशाल समंदर हिन्दुस्तान को पूरी दुनिया में अगल अलग भूगोल देता है. एक बड़ा अगर अवसर है तो इसकी हिफाजत एक चुनौती भी है क्योंकि इस समंदर में हिन्दुस्तान की बादशाहत को हाल के दिनों में चीन बड़ी चुनौती दे रहा है.

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नेवी
  • September 19, 2017 5:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: हिंद महासागर से अरब सागर तक विशाल समंदर हिन्दुस्तान को पूरी दुनिया में अगल अलग भूगोल देता है. एक बड़ा अगर अवसर है तो इसकी हिफाजत एक चुनौती भी है क्योंकि इस समंदर में हिन्दुस्तान की बादशाहत को हाल के दिनों में चीन बड़ी चुनौती दे रहा है. चीन समंदर में हिन्दुस्तान को घेरना चाहता है. कभी पर्ल्स ऑफ रिंग के जरिए तो कभी समुद्री द्वीपों पर सैन्य बनाकर. बार-बार वो हिन्द महासागर में घुसपैठ करता है. पिछले चार सालों में समंदर के अंदर चीनी घुसपैठ 200 फीसदी तक बढ़ी है. इतना ही नहीं चीन जासूसी भी करता है. अभी हाल में उसके दो जासूस फाइटर तब सेटेलाइट कैमरे में पकड़े गए जब अमेरिका, हिन्दुस्तान और जापान की सेना ने ऑपरेशन मालावार का आयोजन किया था. 
समंदर में बढ़ती चुनौतियों के बीच भारत की नौसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 57 फाइटर जेट खरीददारी चाहती है. ये ऐसे लड़ाकू विमान होंगे जो दुनिया के आधुनिक स्टील्थ फाइटर होंगे. इसके लिए इंडियन नेवी के पास 75 हजार करोड़ का बजट है. मतलब सरकार की मंशा है कि चाहे जितना पैसा लगे. जितनी कीमत चुकानी पड़े लेकिन समंदर की निगहवानी में अब कोई कोताही नहीं होगी. नेवी ने अपनी तरफ से अपने बड़े विमानवाहक पोत यानी फ्रिगेट INS विक्रमादित्य पर दुनिया की उन कंपनियों को अपने-अपने लड़ाकू जहाज के साथ ट्रायल देने को कहा है. जो कंपनियां इस इंडियन नेवी से इस डील को सील करना चाहती हैं. ऐसी छह कंपनियां है. जिनके लिए नेवी ने RFI यानी रिक्वेस्ट फॉर इनफॉर्मेशन जारी किया है.
इस लिस्ट में नंबर एक पर है राफेल जिसे फ्रांस की डसाल्ट कंपनी बनाती है. दूसरे नंबर पर है एफ-18 सुपर हॉर्नेट जिसे अमेरिका की कंपनी बोइंग बनाती है. तीसरे नंबर पर है मिग-29के जिसे रूस की कंपनी मिग बनाती है. चौथे और पांचवें नंबर पर एफ-35 बी और एफ-35 सी जिसे अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन बनाती है. छठे नंबर पर है ग्राइपेन जिसे स्वीडन की कंपनी साब बनाती है. कहने के लिए इस रेस में भले छह लड़ाकू विमान हैं लेकिन इंडियन नेवी की जरूरतों के मुताबिक तीन ही कैटेगरी के विमानों में से ये डील फाइनल होनी है. ये विमान ऐसे होंगे. जो चीन के स्टील्थ फाइटर को जवाब दे सकेंगे. जो पाकिस्तान के F-16 पर भारी पड़ेंगे.युद्धपोत कई तरह के होते हैं, सबसे आधुनिक युद्धपोत फोर्ड कैटेगरी के होते हैं. मतलब ऐसा युद्धपोत जो समंदर में घूमती मिलिट्री छावनी हो. जहां फाइटर जेट्स से लेकर, तोप, बख्तरबंद गाड़ियां सब रखने ले जाने की क्षमता हो. जरूरत के मुताबिक उसका इस्तेमाल हो. भारत के पास अभी ऐसा युद्धपोत एक ही है विक्रमादित्य. फिलहाल जो फाइटर जेट्स चाहिए वो इसी के लिए चाहिए. जापान पर उत्तर कोरिया की तरफ से बढ़ रहे खतरों को देखते हुए अमेरिका ने अपनी फोर्ड श्रेणी के इस फ्रिगेट को जापान और दक्षिण कोरिया के नजदीक खड़ा कर रखा है. कहते हैं उत्तर कोरिया जैसे मुल्क पर अकेला ये युद्धपोत रोनाल्ड रीगन भारी पड़ेगा. अमेरिका से अलग इंडियन नेवी की जरूरतें अलग हैं. उसके पास एक बड़ा फ्रिगेट विक्रमादित्य मौजूद है. दूसरा तैयार होने वाला है विक्रांत.
 
दोनों आधुनिक युद्धपोत फाइटर कैरियर है. जिस पर लड़ाकू विमानों की लॉन्चिंग और टेक ऑफ के अलावा बाकी हर तरह की खूबिया हैं. लेकिन ये फ्रिगेट और ज्यादा ताकतवर हो जाते हैं जब इस पर आवाज की गति से भी तेज उडा़ने भरने वाले सेकंड में दुश्मन को घेर कर मारने वाले, मिनट में बड़े से बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने वाले लड़ाकू विमान मौजूद हों.इंडियन नेवी की इन जरूरतों के मुताबिक तीन लड़ाकू विमान फिट बैठते हैं. F-18 सुपर हार्नेट, मिग-29के और राफेल लेकिन राफेल का सौदा इंडियन एयरफोर्स के लिए पहले ही किया जा चुका है. लिहाजा इंडियन नेवी दो ऑप्शन पर गंभीरता से विचार कर रही है. F-18 और MiG-29K में ऐसी कई खूबियां हैं. जो इंडियन नेवी की जरूरतों के बिल्लुक करीब है.

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