नई दिल्ली: देश के आर्थिक हालात पर चर्चा के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक उच्च स्तरीय बैठक की है. पहले पीएम नरेंद्र मोदी इस बैठक में शामिल होने वाले थे लेकिन शाम 6 बजे हुई बैठक अरुण जेटली ने की. मोदी सरकार के सामने मुश्किल ये है कि 2019 में आम चुनाव होने हैं और 17 महीने से ज्यादा का समय सरकार के पास नहीं बचा है. आंकड़े ऐसे नहीं कि वो अच्छे दिन के वादे पर खुद को खरा साबित कर सके.
दरअसल, वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच जीडीपी तीन साल के सबसे निचले स्तर 5.7 फीसदी पर पहुंच चुकी है. जबकि 2016-17 के वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ये 7.9 फीसदी के स्तर पर थी. चालू खाते का घाटा मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से जून के दौरान बढ़कर जीडीपी का 2.4 फीसद हो गया.
पिछले साल इसी तिमाही में ये अनुपात जीडीपी के 0.1 फीसदी पर था, मैन्युफैक्चरिंग की हालत में भी ज्यादा सुधार नहीं है. यहां विकास दर 0.1 फीसदी रही जबकि इसकी रफ्तार जितनी तेज होगी रोजगार भी उसी रफ्तार से बढ़ेगा. जानकारों के मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी से अर्थव्यवस्था को झटका लगा है.
इन हालातों में बीजेपी के लिए 2019 की राह आसान बनाने के लिए संघ ने अंदरखाने कमर कस ली है. संघ 2019 चुनाव के लिए तैयारियों में जुट गया है. संघ अपना पहला फोकस देश की आधी आबादी यानि महिलाओं पर कर रहा है. जल्द ही RSS देश भर में महिलाओं की स्थिति को लेकर सर्वे करेगा.
इसके लिए संघ ने अपने सहयोगी महिला संगठनों और महिला प्रचारकों को जिम्मेदारी दी है. छात्राओं की स्थिति का सर्वे करने की जिम्मेदारी ABVP को दी गई है. जबकि सन्यासनियों का सर्वे करने की जिम्मेदारी VHP और दुर्गा वाहिनी को दी गई है. इसके अलावा महिला मजदूरों की स्थिति का सर्वे मजदूर संघ करेगा.