मुंबई: महाराष्ट्र में मुंबई के पास रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी संस्थान की चर्चा तो सालों से मीडिया में हो रही है. पहले नेता बनाने के कोर्स के चलते, फिर मुंबई यूनीवर्सिटी से पिछले साल मान्यता मिलने के बाद एमए और पीएचडी के कोर्स भी शुरू होने के बाद. संघ से जुड़े इस संगठन को आरएसएस के सम्पर्क प्रमुख अनिरुद्ध देशपांडे और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे की देखरेख में चलाया जा रहा है. अब ऐसा की ट्रेनिंग सेंटर बहुत जल्द दिल्ली एनसीआर में खोलने की तैयारी संघ कर रहा है, जमीन फायनल हो गई है. ना केवल ट्रेनिंग बल्कि छोटे वर्गों या दो तीन हजार कोर कार्य़कर्ताओं की मीटिंग के लिए भी दिल्ली के आसपास एक ऐसे सेंटर की तलाश थी, जिसका किराया ना देना पड़े. इसके लिए पहले सूर्या फाउंडेशन के साधना स्थली को इस्तेमाल किया जाता था. 10 से 12 एकड़ का ये सेंटर बीजेपी ही नहीं संघ से जुड़े संगठन भी इस्तमाल कर रहे थे, लेकिन 2014 में इसे सूर्या फाउंडेशन से बीजेपी से जुड़े श्यामा प्रसाद मुखर्जी फाउंडेशन ने खरीद लिया. इसमें हॉल हैं, कमरे हैं, प्ले ग्राउंड है और पार्क भी. ये दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर है. लेकिन ये हाईवे से दूर था, और जगह भी कम थी. कहीं से भी ये सेंटर मुंबई के बाहरी इलाके में बने रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी संस्थान की टक्कर का नहीं था, उसके अंदर तो ढेर सारे फ्लैट बने हुए हैं.
तब जाकर नई जगह की खोज शुरू हुई, जो जाकर रुकी समालखा में. समालखा छोटा सा कस्बा है, जो पानीपत जिले में है, उसके पास 27 एकड़ जमीन का एक टुकड़ा फायनल कर दिया गया है, दिल्ली से वो जगह 60 से 70 किमी करीब होगी. लगभग सभी बड़े संघ अधिकारियों ने इसे फायनल कर दिया गया है. हालांकि ये सेंटर संघ और बीजेपी से जुड़े कई संगठनों की मीटिंग, वर्ग और ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर काम करेगी. संघ के दिल्ली प्रांत प्रचार प्रमुख राजीव तुली बस इतना बताते हैं कि,”माधव सेवा न्यास ट्रेस्ट के नाम से समालखा में एक जमीन ली गई है, जो सेवा और ट्रेनिंग के कामों से जुड़े एक सेंटर के निर्माण के लिए है.”
माधव सेवा न्यास गुरु गोलवलकर के नाम पर बना ट्रस्ट है, जो संघ के प्रमुख संगठन सेवा भारती से जुड़ा है. माना जा रहा है कि ये सेंटर संघ परिवार के लिए उत्तर भारत में ठीक वही काम करेगा, जो पश्चिम भारत में रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी संस्थान कर रहा है. ऐसे ट्रेनिंग सेंटर का आइडिया कभी श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया था. चूंकि ये जमीन हाईवे पर ही है, सो दिल्ली से आने जाने में कोई खास मुश्किल नहीं होगी और बाहर से आने वाले कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के लिए पानीपत और कुरुक्षेत्र जैसे ऐतिहासिक-धार्मिक स्थानों पर भी घूमने का मौका मिलेगा. अभी ये सेंटर कभी से पूरी तरह फंक्शनल होगा, इसका ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन काम तेजी से चल रहा है. बताया जा रहा है कि कई बड़े ऑडीटोरियम तो इसमें बनेंगे ही, एक हैलीपेड और एक छोटा सा नर्सिंग होम, कई सौ कमरे, एक बड़ी लाइब्रेरी, और शायद स्विमिंग पूल भी बनाने की तैयारी है. अलग से एक रिसर्च सेंटर और ट्रेनिंग सेंटर का कैम्पस भी तैयार होना है.