दहेज उत्पीडन मामलों में गिरफ्तारी पर तत्काल रोक से क्या प्रभाव पड़ा, SC में बताएगी केंद्र सरकार

नई दिल्ली : दहेज उत्पीड़न मामलों में तत्काल गिरफ़्तारी पर रोक के SC के फ़ैसले से इस संबंधित मामलों पर क्या प्रभाव पड़ा है, इस बाबत एक विस्तृत रिपोर्ट रिपोर्ट 6 हफ़्ते के भीतर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में देगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि दहेज उत्पीड़न को लेकर परिवार के सभी सदस्यों की तत्काल गिरफ्तारी न हो। केंद्र सरकार में सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही है और विचार कर रही है की इसे लागू कैसे किया जाए और इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है दहेज़ उत्पीड़न के मामलों पर।
मानव अधिकार मंच नाम के NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि कोर्ट को उस संबंध में दूसरी गाइड लाइन बनाने की जरूरत है क्योंकि कोर्ट के फैसले के बाद दहेज उत्पीड़न का कानून कमजोर हुआ है। याचिका में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि 2012 से 2015 के बीच 32,000 महिलाओं की मौत की वजह दहेज उत्पीड़न था।
इसी साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आईपीसी की धारा-498 ए यानी दहेज प्रताड़ना मामले में गिरफ्तारी सीधे नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दहेज प्रताड़ना मामले को देखने के लिए हर जिले में एक परिवार कल्याण समिति बनाई जाए और समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही गिरफ्तारी होनी चाहिए उससे पहले नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना मामले में कानून के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर की थी और लीगल सर्विस अथॉरिटी से कहा है कि प्रत्येक जिले में परिवार कल्याण समिति का गठन किया जाए, जिसमें सिविल सोसायटी के लोग भी शामिल हों।
* दहेज प्रताड़ना मामले में गाइडलाइंस
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गाइडलाइंस जारी किए हैं। कोर्ट में कहा था कि अगर महिला जख्मी हो या फिर उसकी प्रताड़ना की वजह से मौत हो जाए तो मामला अलग होगा और फिर वह इस दायरे में कवर नहीं होगा। ऐसे मामले में गिरफ्तारी पर रोक नहीं होगी।
अदालत ने कहा कि दहेज मामले में समझौता की कोशिश होनी चाहिए। इसके लिए सिविल सोसायटी के लोगों को आगे आना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि प्रयास हो कि दोनों पक्ष में समझौता हो जाए। सुप्रीम कोर्ट ने लीगल सर्विस अथॉरिटी से कहा है कि वह समिति का गठन करे। इसमें तीन मेंबर होंगे। समिति के कामकाज का आंकलन जिला जज समय-समय पर करेंगे। समिति में समाजिक कार्यकर्ता, लीगल स्वयंसेवी और रिटायर शख्स को शामिल किया जाएगा।
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