लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे को लेकर योगी सरकार का तुगलकी फरमान विवादों में घिर गया है. योगी सरकार ने पीएम मोदी के साथ संवाद के लिए मुस्लिम महिलाओं को जुटाने की जिम्मेदारी मदरसों को सौंपी थी. जिस पर मदरसा के शिक्षकों ने विरोध जताया था.
विरोध के चलते आनन-फानन में मदरसों के प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों की 18 सितम्बर को बुलाई गई बैठक स्थगित कर दी गई है. जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी विजय प्रताप यादव ने वाराणसी के सभी मदरसों को भेजे एक पत्र में कहा है कि 22 सितंबर को पीएम मोदी को डीएलडब्ल्यू ऑडिटोरियम में अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ संवाद का कार्यक्रम है, जिसमें 700 महिलाओं के बैठने की क्षमता है. अत: उक्त तिथि को अल्पसंख्यक महिलाओं को कार्यक्रम स्थल पर पहुंचाने का उत्तरदायित्व मदरसों को दिया जाता है.
अधिकारी का पत्र 16 सितम्बर को मदरसों में पहुंचते ही विरोध होने लगा. मदरसा शिक्षकों की नाराजगी से मामले को तूल पकड़कता देख 17 सितंबर के दूसरा आदेश जारी किया. टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया महासचिव दीवान साहब जमां ने कहा कि सरकार ने मदरसों को बीजेपी कार्यकर्ताओं का काम सौंप दिया है. साहब जमां ने आदेश को वापस लेने की मांग की.
बता दें कि पीएम मोदी छह महीने बाद पहली बार पीएम मोदी 22 सितंबर को दो दिन के दौरे पर वाराणसी जा रहे हैं. इससे पहले योगी सरकार ने स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों की विडियोग्राफी कराकर हमारी देशभक्ति पर सवाल उठाया था.