नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर अहम सुनवाई हुई. कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि कुछ रोहिंग्या देश विरोधी और अवैध गतिविधियों में शामिल हैं. इनमें हुंडी, हवाला चैनल के जरिये पैसों का लेनदेन, रोहिंग्यो के लिए फर्जी भारतीय पहचान संबंधी दस्तावेज हासिल करना और मानव तस्करी जैसे मामले हैं.
केंद्र ने जवाब में आगे कहा कि रोहिंग्या अवैध नेटवर्क के जरिओ अवैध तरीके से भारत में घुस आते हैं. बहुत सारे रोहिंग्या पेन कार्ड और वोटर कार्ड जैसे फर्जी भारतीय दस्तावेज हासिल कर चुके हैं. केंद्र सरकार ने ये भी पाया है ISI, ISIS और अन्य चरमपंथी ग्रुप बहुत सारे रोहिंग्यो को भारत के संवेदनशील इलाकों में साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने की योजना का हिस्सा हैं.
केंद्र सरकार ने कोर्ट में ये भी कहा कि रोहिंग्या को यहां रहने की इजाजत दी गई तो भारत के नागरिक बोधिस्ट जो भारत में रहते है उनके खिलाफ हिंसा होने की पूरी संभावना है. कुछ आतंकवादी पृष्टभूमि वाले रोहिंग्या की जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में पहचान की गई है और ये देश की आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकते है.
केंद्र ने आगे कहा कि भारत की जनसंख्या बहुत ज्यादा है और सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक ढांचा जटिल है, ऐसे में अवैध रूप से आए हुए रोहिंग्यो को देश में उपलब्ध संसाधनों में से सुविधायें देने से देश के नागरिकों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे भारत के नागरिकों और लोगों को रोजगार, आवास, स्वाथ्य और शिक्षा से वंचित रहना पड़ेगा. साथ ही इनकी वजह से सामाजिक तनाव बढ़ सकता है और कानून व्यस्था में दिक्कत आएगी.
केंद्र सरकार ने सील कवर में 2012 और 2013 सुरक्षा एजेंसी द्वारा रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करते हुए कहा कि इससे भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का गंभीर उलंधन होगा. केन्द्र सरकार के कहा कि कोर्ट को इस मुद्दे को केंद्र पर छोड़ देना चाहिए और देश हित में केंद्र सरकार को पॉलिसी निणय के तहत काम करने देना चाहिए. कोर्ट को इसमें दखल नही देना चाहिए क्योंकि याचिका में जो बिषय दिया गया है उससे भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार विपरीत पर असर पड़ेगा और ये राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है.