नई दिल्ली: आसाराम और राम रहीम बस यूं समझ लीजिये कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. राम के नाम पर दोनों ने जिस तरह गंद फैला रखा था. उसी का नतीजा है कि दोनों की ज़िंदगी फिलहाल तो सलाखों के पीछे कट रही है क्योंकि भक्तों को लूटने और मूर्ख बनाने का इनका तरीका ही एक जैसा नहीं था. बल्कि गुनाह भी एक जैसे ही थे. गुनाह के मामले में तो जैसे दोनों के बीच महामुकाबला चल रहा था.
आसाराम और राम रहीम इन दोनों पर साधिकाओं से बलात्कार का आरोप लगा है. आसाराम को जेल की हवा खाते हुए चार साल गुजर चुके हैं और अदालत में केस चल रहा है लेकिन अदालत के चक्कर लगाते लगाते आसाराम की उम्मीदें दम तोड़ने लगी हैं. वहीं रेप के आरोपों में राम रहीम को बीस साल की सजा हो चुकी है. राम रहीम पर भी साधिकाओं से बलात्कार का इल्जाम लगा है.
अय्याशी के मामले में दोनों में जैसे एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी हुई थी. आरोप हैं कि राम रहीम तक लड़कियां सप्लाई करने का काम हनीप्रीत देखती थी और फिर खास साधिकाएं लड़कियों का ब्रेनवॉश करती. इसी तरह आसाराम तक लड़कियां भेजने का जिम्मा ढेल, ढस्सा, बंग्लो नाम की बेहद खास साधिकाओं के पास होता था. जो लड़कियों को दीक्षा के नाम पर आसाराम की एकांत कुटिया तक भेजती थी.
अगर कोई लड़की विरोध करती थी तो आसाराम और राम रहीम दोनों की पीड़िताओं को धमकाते थे. आसाराम पर अपने खास चेलों को नपुंसक बनाने का आरोप लगा था और नपुंसक बनाने के लिए आसाराम केले की जड़ खिलाया करता था लेकिन साधकों को नपुंसक बनाने के मामले में राम रहीम बहुत आगे निकल गया.
राम रहीम पर 400 साधकों को नपुंसक बनाने का आरोप है. राम रहीम के डेरे में नपुंसक बनाने के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई थी. जो ऑपरेशन के जरिये इस गुनाह को अंजाम देती थी. कुछ खास साधकों को नपुंसक बनाना मकसद एक जैसा था ताकि अय्याशी में ये साधक मदद करें और लड़कियों के बारे में सोचे तक नहीं.
पंचकुला और सिरसा में मचा ये बवाल स्क्रिप्टेड था. जिसकी साजिश पहले ही रची जा चुकी थी. इसके लिए राम रहीम ने 5 करोड़ रुपये खर्च किये थे और मकसद था दोषी ठहराये जाने के बाद सरकार पर दबाव बनाना. ठीक इसी तरह आसाराम ने केस कमजोर करने के लिए पुलिसवालों को 13 करोड़ रुपये की पेशकश की थी लेकिन इस मामले में ना आसाराम कामयाब हो पाया था और ना ही राम रहीम.
आसाराम मामले में कई लोग सामने आए जिन्होंने आरोप लगाया था कि आसाराम के आश्रम में उनकी बीवी आई लेकिन फिर दोबारा घर वापस नहीं लौटी. कुल मिलाकर गुनाह के मामले में दोनों पाखंडी बाबा बुलेट ट्रेन की रफ्तार से दौड़ रहे थे और दोनों का अंजाम एक जैसा ही हुआ.
राम रहीम और आसाराम अच्छे से जानते थे कि उनकी असल ताकत अंधभक्त हैं. जो इनके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते. इसी ताकत का दोनों ने वक्त वक्त पर कानून के खिलाफ इस्तेमाल किया. आसाराम ने 4 साल पहले गिरफ्तारी से बचने के लिए तो राम रहीम ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए लेकिन दोनों ही पाखंडी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाये.
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