नई दिल्ली: दो साध्वियों के साथ बलात्कार के आरोप में जेल में बंद राम रहीम को लेकर हर रोज नए चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. संत का चोला पहनकर बलात्कारी बाबा राम रहीम बगदादी की तरह अपनी अलग दुनिया बसा चुका था. एक ऐसी दुनिया जहां सिर्फ उसकी हुकूमत चलती थी. ठीक बगदादी की तरह बगदादी के आतंकियों की तरह जो बाबा के डेरे में एक बार पहुंच गया.
उसका बाहर निकलना नामुमकिन हो जाता था. बगदादी खुद को खलीफा कहता तो राम रहीम मैसेजर ऑफ गॉड अपने गुर्गों के लिए राम रहीम ने बगदादी की तरह तमाम सुख सुविधाएं दे रखी थी. बगदादी की तरह हुकूमत चलाने के लिए जरूरी था कि राम रहीम के पास बेहिसाब दौलत आती रहे और इसका तरीका भी बलात्कारी बाबा ने खोज लिया था.
1100 एकड़ में फैले डेरे में राम रहीम ने अपनी पूरी दुनिया बसा रखी थी. दुनिया के हर अजूबे की नकल तैयार की गई है. ऐशोआराम के लिए तमाम इंतजाम गये. बगदादी ने भी कुछ ऐसा ही किया था. फाइव स्टार होटल पर कब्जा कर बगदादी के आतंकी एक वक्त ऐश करते थे. बगदादी ने अपने आतंकियों के लिए मौज मस्ती के इंतजाम किये थे. ठीक इसी तरह राम रहीम कर रहा था.
कुर्बानी गैंग में शामिल लोगों को तमाम सुख सुविधाएं दी जाती थी. लड़कियां भी खासतौर पर विदेशों से बुलाई जाती थी. इस तरह के सैंकड़ों वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं. जिनमें राम रहीम की महफिल दिखाई देती है. इन वीडियो को देखकर नहीं लगता कि ये सत्संग हो सकता है. जाहिर है राम रहीम की ये महफिल बगदादी रंगीन महफिलों से कम नहीं होती थी.
बगदादी ने अपने आतंकियों के लिए ऐसे ही इंतजाम किये थे. जहां गुलाम लड़कियों से मुजरा कराया जाता था. ऐसी करीब 3 हज़ार लड़कियों को बगदादी ने गुलाम बना रखा था. तीन साल पहले राम रहीम फिल्म के धंधे में उतरा था..एक के बाद एक राम रहीम ने छह फिल्में बना डाली.
जिस तरह राम रहीम फिल्में बनाकर रिलीज करता था इसी राह पर बगदादी लंबे वक्त तक चलता रहा था. बगदादी कत्लेआम के भयानक वीडियो शूट कराता और उन्हें सोशल मीडिया पर रिलीज कराता. बगदादी ने ऐसा करके दुनिया को खौफज़दा किया था.
राम रहीम अपने भक्तों को मेडल दिया करता था और कहा जाता कि मेडल पाने वाले भक्तों ने सबसे अच्छा काम किया है लेकिन असल हकीकत कोई नहीं जानता था. कहते हैं कि मेडल पाने वाले वही भक्त होते थे. जो राम रहीम के इशारे पर कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते. मेडल देकर राम रहीम बाकी भक्तों को अपने प्रति वफादार और ईमानदार रहने का इशारा देता.
ऐसा ही कुछ बगदादी भी कर चुका था. बगदादी ने गुनाहों को अंजाम देने के नए नए तरीके खोज निकाले थे. इसके लिए आतंकियों के बीच कॉन्टेस्ट शुरू किया गया था. जिसका मकसद था कत्ल के नए नए तरीके इजाद करना और जो आतंकी जितने भयानक तरीके से कत्ल करता. उसे उतना ही शानदार तोहफा मिलता था.
राम रहीम चाहता था कि उसकी पहचान मैसेजर ऑफ गॉड की रहे और उसे भगवान की तरह पूजा जाये. इस मंसूबे में राम रहीम काफी हद तक कामयाब भी हो गया था और करोड़ों भक्तों बना लिये थे. जो इस बलात्कारी बाबा के इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहते.
बगदादी ने खुद के खलीफा होने का ऐलान करीब साढे तीन साल पहले किया था. बगदादी चाहता था कि दुनिया का हर मुसलमान उसके इशारे पर चले. वो जो कहे वही करे और कुछ ऐसी ही सोच बलात्कारी बाबा राम रहीम की थी. दोनों में इतनी समानताएं देखकर कौन यकीन नहीं करेगा कि राम रहीम बगदादी की तरह हुकूमत चला रहा था और उसके इरादे बगदादी की तरह खतरनाक नहीं थे.