प्रद्युम्न की हत्या का पूरा सच अब भी अंधेरे में, बस कंडक्टर सिर्फ मोहरा!

नई दिल्ली: गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल के टॉयलेट में 7 साल के प्रद्युम्न की हत्या का पूरा सच अब भी अंधेरे में है. पुलिस ने हत्या के आरोप में बस कंडक्टर को गिरफ्तार किया है. पुलिस का दावा है कि उसके पास सबूत हैं और अगले 7 दिनों में अदालत में चार्जशीट भी दाखिल कर दी जाएगी.  हालांकि बस कंडक्टर को हत्यारा बताने की पुलिस की थ्योरी सवालों में घिरी है.
गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सुबह-सुबह 7 साल के मासूम बच्चे की बेरहमी से हत्या हो जाती है. हत्या स्कूल के टॉयलेट में होती है और कुछ घंटों की जांच के बाद पुलिस स्कूल के बस कंडक्टर को गिरफ्तार कर लेती है. गुड़गांव पुलिस दावा करती है कि कंडक्टर ने टॉयलेट में बच्चे के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की. वो नाकाम रहा और भेद खुलने के डर से उसने बच्चे को मार डाला.
प्रद्युम्न हत्याकांड पर पुलिस की थ्योरी
गुड़गांव पुलिस के हिसाब से ये ओपन एंड शट केस था. हत्या का मकसद पुलिस ने ढूंढ लिया था, हत्या में इस्तेमाल हथियार कहां से आया, ये भी पुलिस जान चुकी थी. लेकिन, यहीं से पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठने शुरू हो गए. आरोपी अशोक स्कूल की जिस बस का कंडक्टर था, उस बस के ड्राइवर ने पुलिस की थ्योरी पर क्या कहा, वो भी बताएंगे.मातम में डूबी प्रद्युम्न की मां ज्योति ठाकुर भी यकीन करने को तैयार नहीं थीं कि पुलिस ने सही कातिल को पकड़ लिया है. पुलिस की थ्योरी पर एक और बड़ा सवाल स्कूल के माली हरपाल ने उठाया.
मीडिया को दिए बयान में हरपाल ने दावा किया कि वो मौका-ए-वारदात पर सबसे पहले पहुंचने वालों में से था. कंडक्टर अशोक वहां बाद में आया. माली का दावा है कि कंडक्टर अशोक के कपड़ों पर तब खून नहीं लगा था. खून तब लगा, जब कंडक्टर ने प्रद्युम्न को उठाकर गाड़ी में रखा. गुड़गांव पुलिस फिलहाल माली से ही पूछताछ करने में जुटी है.जबकि ये काम उसे हत्या की सूचना मिलने के फौरन बाद ही कर लेना चाहिए था.
हत्या की वारदात सिर्फ 17 मिनट
प्रद्युम्न के स्कूल पहुंचने और उसकी हत्या होने की पूरी वारदात सिर्फ 17 मिनट में हो गई. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, हत्या की जो थ्योरी पुलिस की है, उसके हिसाब से प्रद्युम्न को उसके पिता वरुण ठाकुर ने सुबह 7.55 बजे स्कूल गेट पर ड्रॉप किया. प्रद्युम्न की बहन भी साथ थी, जो अपनी क्लास की ओर चली गई. प्रद्युम्न क्लास रूम से पहले टॉयलेट गया. पीछे से बस कंडक्टर अशोक भी टॉयलेट में पहुंच गया. करीब 10 मिनट बाद अशोक टॉयलेट से बाहर निकला और फिर लहूलुहान प्रद्युम्न रेंगते हुए टॉयलेट के दरवाज़े तक पहुंचा.
अगर ये थ्योरी सही है, तो फिर सवाल ये है कि कंडक्टर क्या टॉयलेट की ओर जाने वाले गलियारे पर नज़र रखे हुए था? क्या वो पूरी तैयारी के साथ स्कूल के अंदर दाखिल हुआ था कि उसे किसी मासूम को अपनी हवस का शिकार बनाना है? गिरफ्तार होने के बाद कंडक्टर ने अपना जो गुनाह कबूल किया, उसमें उसने माना कि वो कुछ गलत कर रहा था, जिसे प्रद्युम्न ने देख लिया. सवाल ये है कि कंडक्टर अशोक ने ये क्यों नहीं कहा कि वो प्रद्युम्न के साथ गलत कर रहा था. उसने ये क्यों कहा कि प्रद्युम्न ने उसे गलत काम करते देख लिया था.
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