उसके बाद उन्होंने “ना जाने कबसे”, ‘एक था टायगर’, ‘फ्रॉम सिडनी वुईथ लव”, “आशिकि 2” और बंगाली फिल्म रॉकि के लिए गाने गाये. पलक को हिंदी सिनेमा में कामयाबी फिल्म “एक था टायगर” और “आशिकि 2” से मिली.
सामाजिक योगदान
पलक बचपन से सामाजिक योगदान में सक्रीय है. जब वह महज सात साल की थी, तभी से वह इससे जुड़ी हुई हैं. वह बचपन से ही गरीबों की मदद करती चली आ रही हैं. साल 1999 में जब कारगिल की लड़ाई छिड़ी थी, तब उन्होंने शहीदों के परिवारों के लिए दुकानों और गली के नुक्कड़ों पर गाना गाकर चंदा इकट्ठा किया. पलक अपनी गायकी का सार्वजानिक प्रदर्शन कर चंदा इकट्ठा कर गरीब बच्चो की सहायता करती हैं.
उसके बाद वह अपने भाई पलाश के साथ विदेशों में स्टेज शो करने लगीं, उन स्टेज शो से वह जो भी पैसा कमाती हैं, वह गरीब बच्चो को दान करती हैं. अपने अभियान से संजोगता बनाते हुए उन्होंने अपनी प्रदर्शनी का नाम “दिल से दिल तक” रखा है.
सन 2001 मे पलक ने गुज़रात के भुकंप पीड़ितो की सहायता के लिए 10 लाख रुपए का चंदा ईकट्ठा किया. पलक की बच्चों के प्रति सहानुभुती सिर्फ भारत तक सिमीत नहीं है.
जुलाई 2003 में पलक ने पाकिस्तान कि नागरीक बच्ची, जो ह्रदय रोग से पीड़ित थी और भारत में इलाज के लिए आई थी, उसके लिए वित्तीय सहायता कि पेशकश कि.
दिसंबर 2006 तक पलक ने अपने एक संगठन खोला, जिसका नाम ‘पलक मुच्छल हार्ट फाऊंडेशन’ है. इस संगठन के जरिए कुल 1.2 करोड़ रुपयों कि राशि ईकट्ठा कि थी जिससे 234 बच्चो का ऑपरेशन किया गया.
पैसों कि कमी कि वजह से किसी बच्चे का ऑपरेशन ना रूके ये सुनिश्चीत करने के लिए पलक मुच्छल हार्ट फाऊंडेशन को दस लाख रुपये ओवरड्राफ्ट कि अनुमती है.
जून 2009 तक पलक ने कुल 1.71 करोड़ रुपयों कि राशि ईकट्ठा कि थी जिससे 338 बच्चों कि जान बचाई जा सके. इस संगठन के पैसों से पलक या उनके परिवारवालों को कोई व्यक्तीगत लाभ नहीं होता है.
बता दें कि 30 मार्च 1992 को इंदौर में जन्म हुआ. पलक को बचपन से ही लोगों की मदद करना पसंद है. 7 साल की उम्र में गाने गाकर चंदा इकट्ठा किया. समाजसेवा की वजह से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया.करगिल शहीदों के परिवार की मदद के लिए चैरिटी शो किया. 17 अलग-अलग भाषाओं में गाने गाती हैं पलक मुच्छाल.