रेयान के CEO पिंटो गार्जियन को धमकाते थे- नेता और अफसर से जूते साफ कराता हूं

रेयान पब्लिक स्कूल के बारे में आप इन दिनों खूब पढ़ रहे होंगे. सात साल के मासूम प्रद्युम्न की हत्या के बाद रेयान पब्लिक स्कूल पर एक के बाद एक कई सवाल खड़े हो रहे हैं. इस स्कूल ने शिक्षा को धंधा बना रखा था.

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रेयान के CEO पिंटो गार्जियन को धमकाते थे- नेता और अफसर से जूते साफ कराता हूं

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  • September 12, 2017 1:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
मुंबई: रेयान पब्लिक स्कूल के बारे में आप इन दिनों खूब पढ़ रहे होंगे. सात साल के मासूम प्रद्युम्न की हत्या के बाद रेयान पब्लिक स्कूल पर एक के बाद एक कई सवाल खड़े हो रहे हैं. इस स्कूल ने शिक्षा को धंधा बना रखा था. इस स्कूल से जुड़ा एक और मामला इंडिया न्यूज़/इनखबर को मिला है जहां फीस ना भर पाने की सूरत में एक पिता को अपना और अपने परिवार का खून बेचकर फीस जमा करने को कहा गया.
 
जब उस लाचार पिता ने राज्य के शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास गुहार लगाई तो रेयान के सीईओ रेयान पिंटो ने कहा अभिभावक से कहा कि जिन लोगों को तुम अर्जियां देकर आए हो, उनसे मैं अपने जूते साफ करवाता हूं. उनके लैटर से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता.
 
ये मामला मुंबई का है जहां पेशे से रिक्शा ड्राइवर गणपति झा अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए पेट काट-काटकर अपने तीन बच्चों को रेयान स्कूल में पढ़ा रहे थे. एक बार आर्थिक तंगी की वजह से गणपति झा अपने बच्चे की स्कूल फीस नहीं भर पाए जिसके बाद स्कूल ने उनके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया, उन्हें परीक्षा भी नहीं देने दिया गया.
 
गणपति झा स्कूल प्रिंसिपल के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते रहे कि उनके बच्चे का भविष्य खराब हो जाएगा लेकिन प्रिंसिपल और ना प्रबंधन किसी ने उस लाचार पिता की फरियाद नहीं सुनी.
 
यही नहीं स्कूल प्रिंसिपल ने गणपति झा को ऐसा जवाब दिया जिससे मानवता भी शर्मसार हो जाए. प्रिंसिपल ने कहा कि अगर पैसे नहीं हैं तो घर के पांचों लोग खून दो, मैं उसे बेचने का इंतजाम करती हूं, उससे 15-16 हजार रूपये मिल जाएंगे जिससे तुम फीस भर सकोगे.’
 
 
इसके बाद गणपति झा अपनी फरियाद लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक गए, उन्होंने रेयान को फीस माफ करने का आदेश भी दिया लेकिन रेयान के सीईओ रेयान पिंटो ने गणपति झा द्वारा लाए गए लैटर को देखकर कहा कि तुम जिसके पास जाकर लेटर देकर आए हो उनसे तो मैं अपने जूते साफ कराता हूं. ऐसे लोगों के लैटर का हमारे लिए कोई मतलब नहीं है. 
 
गणपति झा के मुताबिक स्कूल ने फीस ना भर पाने की वजह से उनके बच्चे का स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट भी नहीं दिया जिसकी वजह से एक साल से उनका बच्चा घर पर बैठा है.  
 

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