नई दिल्ली: बजरंग दल का राष्ट्रीय अधिवेशन इस साल भोपाल में 27 से 29 अक्टूबर को होने जा रहा है. इस आयोजन की सबसे खास बात होगी इसका भारत माता आरती का कार्यक्रम. देश के हर उस रणक्षेत्र से मिट्टी मंगाई जा रही है, जहां जहां देश के इतिहास में कोई बड़ा युद्ध हुआ था. उस मिट्टी को अधिवेशन शिविर में लगी भारत माता की मूर्ति के चरणों में रखा जाएगा और फिर होगी भारत माता की महाआरती. इतना ही नहीं बजरंगियों का उत्साह बढाने इस अधिवेशन में चीफ गेस्ट होंगे जाने माने पहलवान और कुश्ती में ओलम्पिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त.
एक तो बजरंग दल पहले भी अपने कार्यक्रमों में खिलाड़ियों को बुलाता रहा है, दूसरे योगेश्वर दत्त भी राष्ट्रवादी विचार के माने जाते रहे हैं, अक्सर उनकी ट्वीट्स में उनका ये रुझान दिखता रहा है. बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक मनोज वर्मा बताते हैं, ‘इस अधिवेशन में देश भर से करीब पांच हजार बजरंग दल पदाधिकारी हिस्सा लेंगे, जिनमें सभी प्रांतों और जिले के अधिकारियों को बुलाया गया है. इस अधिवेशन की थीम रखी गई है-सशक्त युवा समर्थ भारत’. हालांकि बजरंग दल इस सम्मेलन में एक बड़े मुद्दे पर भी प्रस्ताव पारित करके कोई बड़ा ऐलान कर सकता है और वो बड़ा मुद्दा है रोहिंग्या मुसलमानों का.
इस अधिवेशन में तीन मुख्य मुद्दों पर प्रस्ताव पारित होना है, जिसमें जनसंख्या असतुंलन प्रस्ताव के तहत पहले बांग्लादेशी घुसपैठ और अब रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर बजरंग दल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी विचार करेगी. मनोज वर्मा कहते हैं, “रोहिंग्याओं को ना केवल सरकार ने जमीन दी, बल्कि सलमान खुर्शीद के एनजीओ ने उन्हें लाखों रुपए भी दिए. ऐसे में जबकि पहले ही हम विदेश प्रायोजित आतंकवाद से जूझ रहे हैं, अवैध तरीके से आए इन प्रवासियों को भी कोई अपने फायदे के लिए देश के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है. खासकर तब जबकि आपके पास ना उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड है और ना ही पहचान का डाटा.“ दूसरा मुख्य प्रस्ताव आंतरिक सुरक्षा पर रखा जाना है, सो दोनों ही मुद्दों के तहत रोहिंग्या मुसलमानों का मामला उठेगा.
तीसरा मुख्य मुद्दा रामजन्म भूमि से जुड़ा है, इसमें बजरंग दल ने तय किया है कि हरिद्वार में जो वीएचपी के संत मार्गदर्शक मंडल ने सरकार से कानून बनाकर जल्दी से जल्दी मंदिर बनाने का प्रस्ताव रखा है, वो उसी को अनुमोदित कर देंगे. बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक मनोज वर्मा कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में लगातार मामले को लटकाने के प्रयास किए जा रहे हैं, दूसरा पक्ष बार बार किसी ना किसी वजह का बहाना लेकर और समय मांग रहा है, इसलिए हम सरकार से कानून बनाने की मांग का ही अनुमोदन करेंगे.
इस कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के लगभग सभी बड़े पदाधिकारी भी हिस्सा लेंगे और साथ में आरएसएस के राष्ट्रीय सह सम्पर्क प्रमुख अरुण कुमार भी बजरंगियों को सम्बोधित करेंगे. 29 अक्टूबर को यानी आखिरी दिन एक खुला अधिवेशन भी होगा, जिसमें मीडिया और भोपाल शहर के तमाम जाने पहचाने चेहरे शामिल होंगे. इसके बाद शहर में एक शोभायात्रा निकालने की भी योजना है, ये इस मामले में दिलचस्प होगी क्योंकि इसमें भाग लेने वाले सभी लोग भारत के अलग अलग इलाकों की पारम्परिक वेशभूषा में होंगे, यानी बनवासी, गुजराती, कश्मीरी आदि. सबसे बड़ी बात कि हथियारों का कोई सामूहिक प्रदर्शन करने की कोई योजना नहीं है. हालांकि महाराष्ट्र की देवनाथ पीठ के पीठाधीश्वर जितेन्द्रनाथ जी महाराज भी बजरंगियों को सम्बोधित करेंगे.
बजरंग दल अरसे तक वेलेंटाइन डे के खिलाफ कैम्पेन चलाता आया था, जिसको लेकर टीवी की सुर्खियां बनती थीं, निशाने पर ज्यादातर कार्ड्स बेचने वाली शॉप्स रहती थीं. पिछले तीन-चार सालों में इसमें बड़ी कमी आई है, लगभग खत्म हो गई है. उसकी दो बड़ी वजह हैं, एक दो सोशल मीडिया के दौर में कार्ड्स आदि बिकना बंद से हो गए, दूसरे बजरंग दल की कमान विद्यार्थी परिषद के एक सीनियर कार्यकर्ता के हाथ में आई है. आज संघ के हर बड़े संगठन को आमतौर पर उदारवादी माने जाने वाले एबीवीपी के पूर्व कार्यकर्ता ही संभाल रहे हैं, चाहे वो अमित शाह हों या मनोज वर्मा.
मनोज वर्मा ब्रज प्रदेश और दिल्ली में एबीवीपी की कमान संभाल चुके हैं और बिना शोरशराबे के जड़ें मजबूत करने का श्रेय मनोज वर्मा को जाता है. हाल ही में पंजाब सरकार ने बजंरग दल को सबसे ज्यादा ब्लड डोनेशन के लिए सम्मानित किया तो सोशल मीडिया पर बजरंग दल की मौजूदगी तेजी से बढ़ाने और बजरंगियों को सोशल मीडिया की ट्रेनिंग के लिए वर्कशॉप्स लगाने के लिए भी मनोज वर्मा लगातार लगे हुए हैं. योगेश्वर दत्त को बजरंगियों के बीच लाना और रणभूमियों की माटी के साथ भारतमाता की आरती का कार्यक्रम भी इसी दिशा में उठाया एक कदम है, यानी एग्रेसिव नेचर बरकरार रखते हुए आम युवा के बीच बजरंगियों की पकड़ और छवि मजबूत करना.