दिल्ली-NCR में दिवाली में पटाखे बिकेंगे या नहीं, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला

नई दिल्ली: दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों की ब्रिकी पर रोक जारी रहेगी या नही इस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट अपना आदेश सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा निर्माता कंपनियों और विक्रेताओं का पक्ष सुनने के बाद इसी साल अगस्त में फैसले को सुरक्षित रख लिया था.
गौरतलब है कि पिछले साल 25 नवंबर को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए नए लाइसेंस ना देने और पहले से जारी हुए लाइसेंस को निलंबित करने का आदेश दिया था.
मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पटाखों के मानक तय करने की प्रक्रिया अभी जारी है और 15 सितंबर तक मानक तय कर लिए जाएंगे. वहीं मानक तय होने तक सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा निर्माताओं को पटाखें बनाने में लिथियम, लेड, मरक्यूरी, एंटीमोनी व आर्सेनिक का इस्तेमाल न करने के आदेश जारी किए थे.
इसके साथ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि CPCB तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल कर बताए कि पटाखों में किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है.
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 25 नवंबर को पटाखों के खिलाफ दायर की गई तीन बच्चों की याचिका पर सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले संकेत दिया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लग सकती है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिस तरह ड्रिंक करने वालों को बस बहाना चाहिए, सुख हो या दुःख उन्हें तो बस ड्रिंक करने का मौका चाहिए होता है, ठीक उसी तरह पटाखों को लेकर भी लोग यही करते हैं.
अधिकारों को लेकर लोगों का सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह अपने तरह का एक अलग मामला है जब 6 से 14 महीने के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर साफ हवा में सांस लेने के अधिकार की मांग की थी.
इस याचिका में मांग की गई थी कि दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों की ब्रिकी पर रोक लगाई जाए. अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव नाम के इन बच्चों की ओर से उनके पिता ने जनहित याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते हालात खराब हो रहे हैं.
दिल्ली में त्योहार के वक्त पर पटाखों की वजह से कई बीमारियां भी हो रही हैं. इसके अलावा रोक के बावजूद खुले में मलबा भी फेंका जा रहा है. इसके साथ ही राजधानी के आसपास करीब 500 टन फसलों के अवशेष भी जलाए जाते हैं. इतना ही नहीं बल्कि ट्रकों की वजह से भी प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इसकी वजह से फेंफड़ें संबधी बीमारियां भी बढ़ रही हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को कोई ठोस दिशा निर्देश जारी कर प्रदूषण पर रोक लगानी चाहिए.
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