भोपाल : रविवार को भोपाल में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की पहली बैठक हुई. जिसमें कहा गया कि वो तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते है, लेकिन शरीयत में किसी भी प्रकार का दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बोर्ड ने फिलहाल कोर्ट के फैसले के अध्ययन के लिए कानूनी जानकारों की दस सदस्यीय समिति बनाने का फैसला किया है. यह समिति इस बात का अध्ययन करेगी कि कोर्ट के फैसले में शरीअत को लेकर कोई विसंगति तो नहीं है.
भोपाल में पर्सनल लॉ बोर्ड की दिन भर चली बैठक के बाद वर्किंग कमेटी के सदस्य कमाल फ़ारुकी ने कहा कि बोर्ड में फैसला लिया गया है कि शरीयत में किसी भी तरह का दख़ल मंज़ूर नही है. वहीं संविधान में जो संरक्षण दूसरे धर्मो के लोगों को मिला है, वही संरक्षण मुसलमानों को भी मिलना चाहिए.
बैठक के बाद हुई पत्रकार वार्ता में बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि एक साथ तीन तलाक पाप है, लेकिन वैध है. उन्होंने कहा कि एक साथ तीन तलाक धार्मिक आधार पर शुरू हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह मंशा जाहिर की थी कि कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना यदि कोई शादी टूटती है तो वह असंवैधानिक घोषित करना चाहिए.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद मसले पर कहा कि इस पर किसी भी तरह से जल्दबाज़ी नहीं की जानी चाहिए. बोर्ड सचिव ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा कि चूंकि बाबरी मस्जिद मसला संपत्ति संबंधित है इसलिए इस मामले में फ़ैसले को लेकर जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए.