कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. इस बार का मुद्दा कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का लाइव प्रसार का है. ममता सरकार ने यूजिसी के निर्देश को नजरअंदाज करते हुए कहा है कि उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले यूनिवर्सिटीज तथा कॉलेजों में पीएम मोदी का लाइव भाषण न दिखाएं.
‘नहीं दिखाएंगे PM मोदी का भाषण’
राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि राज्य सरकार को बिना बताए या उसकी जानकारी में लाए बिना केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती. यह शिक्षा को भगवा करने की कोशिश की जा रही है, जो हमें स्वीकार नहीं है. यूजीसी के इस तरह के सर्कुलर से राज्य के कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हैरान थे. जब उन्होंने हमसे संपर्क किया तो मैंने कहा कि यूजीसी के निर्देशों को पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं, उसे नजरअंदाज करें.
‘लोकतंत्र में ऐसा बर्ताव असहनीय’
वहीं बीजेपी ने इस फैसले को लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण और असहनीय बताया है. बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि ये ममता सरकार का चौंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है. संघीय व्यवस्था में प्रधानमंत्री की सबसे ऊपर होता है. क्या किसी राज्य के चुने हुए मुख्यमंत्री को केंद्र के ऑर्डर को नहीं माने और विधार्थियों के लिए पीएम की स्पीच रोक दे. लोकतंत्र में ऐसा करना सही नहीं है.
क्या था मामला ?
ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने सभी टेक्निकल कॉलेजों के डायरेक्टर्स को नोटिस भेज दिया है. यंग इंडिया- न्यू इंडिया पर 11 सितंबर को होने वाले पीएम मोदी के भाषण को देश के सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में लाइव सुनाया जाएगा. स्वामी विवेकानंद की ओर से शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिए गए भाषण के 125 साल पूरे होने और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के शताब्दी समारोह के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का कार्यक्रम रखा गया है. इस प्रोग्राम की थीम ‘यंग इंडिया, न्यू इंडिया – ए रिसर्जेंट नेशन : संकल्प से सिद्धि तक’ दिया गया है. यूजीसी ने देश की सभी यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थानों में सर्कुलर जारी कर इस कार्यक्रम के लिए सही से व्यवस्था करने को कहा है. सर्कुलर में कहा गया है, ‘सभी शिक्षण संस्थान भाषण के लाइव प्रसारण के लिए टीवी/प्रोजेक्टर की उचित व्यवस्था करें. इसके साथ ही कार्यक्रम के लिए संस्थानों में बैठने की सही व्यवस्था भी की जाए.’