गुरुग्राम: हर माता-पिता का सपना होता है कि वो अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा दे. इसके लिए वो अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा ये सोचकर हंसते-हंसते खर्च कर देता है कि प्राइवेट स्कूल में उसके बच्चे की अच्छी देखभाल होगी, लेकिन कुछ प्राइवेट स्कूलों को सिर्फ और सिर्फ अपनी कमाई से मतलब है.
ऐसा ही कुछ शुक्रवार को गुरुग्राम में सात साल के प्रदयुम्न के साथ हुआ जिसे उसके पिता ने सुबह 7:55 बजे स्कूल छोड़ा और सवा आठ बजे स्कूल से फोन आया कि इमरजेंसी है अस्पताल पहुंचें. अस्पताल पहुंचने से पहले ही प्रदयुम्न की मां की गोद सूनी हो चुकी थी. इंडिया न्यूज़/इनखबर ने प्रद्यु्म्न की मां ज्योति ठाकुर से बात की. बेहद भावुक और गमगीन माहौल के बीच प्रद्युम्न की मां ने कहा ‘ हम खाली हो गए, हमारा कुछ भी नहीं रहा.
उन्होंने कहा कि अपनी जरूरतों को काटकर बच्चों को स्कूल भेजते थे कि बच्चा कुछ बन जाएगा. पूरे घटनाक्रम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘ अस्पताल पहुंचने के बाद उन्होंने देखा कि उनके पति प्रद्युम्न के बच्चे का पैर पकड़कर रो रहे थे. मुझे मेरे पति ने ये कहा कि बाबू ठीक है उसकी सर्जरी हो जाएगी लेकिन मेरे पति को पता था कि बाबू अब इस दुनिया में नहीं है’.
प्रद्युम्न की मां ने ये भी कहा कि ‘ स्कूल की प्रिंसिपल किसी से नहीं मिलने देती थी उनकी मैडम कहती थी कि हमसे बात करिए.’ उन्होंने सवाल उठाया कि बेहिसाब पैसा लेने के बावजूद स्कूल में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम क्यों नहीं थे? स्कूल में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगाए गए? प्रद्युम्न की मां की मांग है कि स्कूल प्रिंसिपल और चेयरमैन को गिरफ्तार किया जाना चाहिए.