नई दिल्ली. जेएनयू छात्र संघ चुनाव के लिए शुक्रवार को होने वाली वोटिंग से पहले जब बुधवार की रात प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई तो एक अनोखी चीज नजर आई. मंच के सामने स्टुडेंट्स संगठनों ने जो मोर्चेबंदी कर रखी थी उसमें लेफ्ट वालों राइट साइड में और राइट वाले लेफ्ट साइड में नजर आए. बहुत लोड लेने या कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये गुदगुदाने वाली खबर है. ये मंच के सामने टेंट के नीचे लोग दाईं तरफ बैठे या बाईं तरफ बैठे का मसला है. जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में हार-जीत किसी की हो लेकिन माहौल हर बार यही बनता है कि लेफ्ट का गढ़ टूटेगा या राइट का राज लौटेगा. लेफ्ट मतलब- आइसा, एसएफआई, डीएसएफ, एआईएसएफ और राइट मतलब एबीवीपी.
बुधवार की रात जब झेलम लॉन में प्रेसिडेंशियल डिबेट की शुरुआत हुई तो उससे पहले तमाम छात्र संगठनों के समर्थक स्टुडेंट्स अपने-अपने समूह में मंच के सामने दो हिस्से में बंटकर बैठ गए. दोनों हिस्से की मामूली घेराबंदी भी की गई थी. मंच के सामने स्टुडेंट्स के संगठन के समूह के तौर पर जो मोर्चेबंदी थी उसमें दाहिनी तरफ एआईएसएफ, आइसा, एसएफआई और डीएसएफ के समर्थक थे. वहीं बाईं तरफ सबसे आगे बाप्सा के समर्थक डटे थे जिनके पीछे एबीवीपी के समर्थक जमे थे. एनएसयूआई वाले किस तरफ थे, ये पता नहीं चला क्योंकि इनका यहां बहुत जनाधार है नहीं.
जब इस बारे में छात्र संगठनों के नेताओं से पूछा गया कि क्या ऐसा सीटिंग अरैंजमेंट चुनाव संचालन समिति करती है या ये खुद होता है तो पता चला कि प्रेसिडेंशियल डिबेट से एक रात पहले जब उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव कैंडिडेट्स का भाषण होता है तो उसमें ही छात्र संगठन लोग आपस में बिना विवाद के ये तय कर लेते हैं कि कौन किस तरफ अपने समर्थकों के साथ बैठेगा. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए कुल 6 कैंडिडेट मैदान में हैं जिनमें 5 लड़कियां हैं जबकि 1 लड़का. 5 लड़कियां अलग-अलग संगठनों की तरफ से चुनाव लड़ रही हैं जबकि एकमात्र लड़का निर्दलीय है. प्रेसिडेंट पद के लिए आइसा-एसएफआई-डीएसएफ की लेफ्ट यूनिटी कैंडिडेट गीता कुमारी, एआईएसएफ कैंडिडेट अपराजिता राजा, बाप्सा कैंडिडेट शबाना अली, एबीवीपी कैंडिडेट निधि त्रिपाठी, एनएसयूआई कैंडिडेट वृष्णिका सिंह यादव और निर्दलीय फारूख आलम मैदान में हैं.