नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वो मतों की गिनती सामूहिक रूप से कराने के पक्ष में है. यह इसलिए जरूरी है कि यह पता न चल सके कि किन बूथ या वार्ड में लोगों ने वोट दिया या किसने नहीं दिया.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में ये भी कहा कि हमनें ये पाया है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में यह देखने को मिला है कि जिन गांव या वार्ड के लोगों ने जीते हुए उम्मीदवारों के पक्ष में वोट नहीं दिया है, उन लोगों के प्रति प्रत्याशी का रवैया खराब हो जाता है. यहां तक ऐसे लोगों के साथ गांव या वार्ड की अनदेखी भी करते हैं.
इतना ही नहीं किसी उम्मीदवार के समर्थन में मतदान न देने वालों के खिलाफ नेता के करीबी दबंग लोग उनके साथ बुरा बर्ताव या फिर उनको परेशान करते हैं. चुनाव आयोग का ये जवाब केंद्र सरकार के रुख से बिल्कुल उलट है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर सरकार ने बूथ आधारित मतगणना को सही और उचित करार दिया था. सरकार का कहना है कि बूथ आधारित मतगणना राजनीतिक दलों और उसके उम्मीदवारों के लिए बेहतर है.
सुप्रीम कोर्ट लोक प्रहरी एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. लोक प्रहरी एनजीओ ने याचिका दाखिल कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव सुधारों को लेकर आदेश दे कि नामांकन के वक्त प्रत्याशी अपनी और अपने परिवार की आय के स्त्रोत का खुलासा भी करे.