मुंबई: 24 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार 1993 मुंबई बम धमाके के आरोपियों को कोर्ट से सजा मिल गई. कोर्ट ने पांच दोषियों में से दो को उम्रकैद, दो को फांसी और एक दोषी को दस साल जेल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अबू सलेम और करीमुल्ला को उम्रकैद की सजा दी है जबकि फिरोज खान और ताहिर मर्चेंट को मौत की सजा सुनाई गई है. इसके अलावा एक और दूसरे दोषी रियाज सिद्धिकी को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई.
इससे पहले कोर्ट रूम में पहुंचे दोषियों के चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था. दोषी करीमु्ल्ला खान और रियाज सिद्धिकी कोर्ट रूम में ही धार्मिक किताबें पढ़ रहा था. वहीं दूसरी तरफ अबू सलेम अपने वकील से बातें कर रहा था.
जानकारी के मुताबिक टाडा कोर्ट से फांसी की सजा मिलने के बाद अबू सलेम फिरोज खान के मिलने गया लेकिन उन दोनों के बीच बहस हो गई. फिरोज खान ने अबू सलेम पर चिल्लाते हुए बात करने से इनकार कर दिया.
बम धमाकों में मर्चेंट और फिरोज खान का रोल
ताहिर मर्चेंट
ताहिर मर्चेंट ने आंतकी गतिविधी में शामिल सह-आरोपी जिसे पाकिस्तान में ट्रेनिंग दी गई है उसके लिए परिवहन व्यवस्था की थी. अभियोजन पक्ष के वकील ने कोर्ट में कहा कि ताहिर मर्चेंट और करीमउल्ला खान ने इसके अलावा पासपोर्ट की भी व्यवस्था की थी. मर्चेंट दुबई में मुंबई ब्लास्ट के लिए की गई मीटिंग में भी शामिल था और इसने अपने सहयोगियों को मुंबई से लोगों को शस्त्र प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजा जाने की व्यवस्था करने के लिए प्रेरित किया था. मर्चेंट ने हथियार खरीदने के लिए धन एकत्रित किया और भारत में एक अवैध हथियार निर्माण कारखाना स्थापित करने की योजना बनाई.
फिरोज खान
8 जनवरी 1993 को विस्फोटों के दो महीने पहले मोहम्मद डोसा (मुस्तफा डोसा के फरार भाई) ने फिरोज अब्दुल रशीद खान और अन्य आरोपी को कस्टम्स अधिकारियों और लैंडिंग एजेंटों को हथियारों और विस्फोटक के बारे में सूचित करने के लिए अलबाग और म्हसला भेजा था. इसी के साथ फिरोज खान आतंकी हमले के लिए की गई बैठकों में भी भाग लिया.
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