बेंगलुरु. कर्नाटक की वरिष्ठ पत्रकार और कार्यकर्ता गौरी लंकेश की गोली मार कर हत्या कर दी गई है. दरअसल, गौरी लंकेश महज एक पत्रकार ही नहीं थीं, बल्कि कट्टटर हिंदुत्व के खिलाफ एक मुखर आवाज थीं. गौरी अपनी बेबाक लेखनी के लिए जानी जाती थीं.
गौरी लंकेश अपनी निर्भिकता और बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती थीं. लंकेश गौरी लंकेश पत्रिके, जो कि कन्नड़ साप्ताहिक पत्रिका है, उसकी एडिटर थीं. खास बात ये है कि इनकी पत्रिका किसी से एडवर्टिजमेंट नहीं लेता था और ये 50 लोगों के ग्रुप से संचालित होता है.
गौरी लंकेश अक्सर सांप्रदायिक राजनीति और जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं. राइट विंग और हिंदुत्व के खिलाफ वो अक्सर लिखती और बोलती रही हैं.
बताया जा रहा है कि हमलावरों ने गौरी लंकेश के शरीर पर 7 गोलियां मारी और मौके पर ही उनकी मौत हो गई. गौरी लंकेश देश की जानी-मानीं पत्रकार थीं. इनके कॉलम काफी पॉपुलर होते थे. गौरी लंकेश कई समाचार पत्र-पत्रिकाओं में कॉलम लिखती थीं.
ऐसा माना जाता है कि गौरी लंकेश राइट विंग यानी कि कट्टर हिंदुत्व विचारधारा की मुखर आलोचक थीं. वैचारिक मतभेद को लेकर गौरी लंकेश कुछ लोगों के निशाने पर भी थीं. ऐसे कई मौके आए हैं, जहां गौरी ने कट्टर हिंदुत्व के खिलाफ जमकर झंडा बुलंद किया है.
उन्होंने 2016 में न्यूजलॉन्ड्री को दिये एक साक्षात्कार में कहा था कि ‘मोदी भक्त और हिंदुत्व ब्रिगेड” मुझे किसी तरह चुप कराना चाहते हैं. आगे उन्होंने कहा था कि वे उन सबको सलाखों के पीछे देखना चाहती हैं.
गौरी जिस पत्रिका की संपादक थीं, वो साप्ताहिक पत्रिका थी. इस ‘लंकेश पत्रिके’ को उनके पिता पी लंकेश ने 1980 में शुरू किया था. पी लंकेश 1980 से लेकर 2000 तक फाउंडर एडिटर थे. बता दें कि गौरी लंकेश के पिता पी लंकेश वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और अनुवादक थे.
नवंबर 2016 में गौरी लंकेश दो अलग मानहानि के मामलों में दोषी पाई गई थीं और उन्हें जेल की सजा भी हुई थी. मामला था कि जनवरी 2008 में उन्होंने बीजेपी के एक नेता की आलोचना की थी. इस मामले में वो जमानत पर बाहर निकली थीं.
गौरी लंकेश तीन भाई-बहन थीं. गौरी लंकेश के भाई इंद्रजीत लंकेश फिल्म मेकर और डायरेक्टर हैं. गौरी लंकेश की हत्या के मामले में उन्होंने सीबीआई जांच की मांग भी की है.