मुंबई: अगर आप भी अपनी प्यास बुझाने के लिए बोतलबंद पानी का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाइए. यह पानी आपको बीमार कर सकता है. यहां तक कि कैंसर जैसी घातक बीमारी भी दे सकता है. मुंबई में दो साल पहले भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर के चार वैज्ञानिकों की बोतलबंद पानी की जांच में 27% नमूनों में तय मात्रा से ज्यादा ब्रोमेट मिला था. इस मामले में दो साल बाद फूड सैफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने महाराष्ट्र एफडीए को जांच करने का आदेश दिया है.
भाभा के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट जारी होने के बाद दो साल तक प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया. यह देखकर पिछले महीने मुंबई के एक डॉक्टर ने इसकी शिकायत मानवाधिकार आयोग से की. नाम न छापने की शर्त पर इस डॉक्टर ने बताया, ‘ब्रोमेट तत्व की अधिक मात्रा कार्सोजेनिक होती है, जिससे घातक बीमारियां भी हो सकती हैं. इसीलिए मैंने जनहित को देखते हुए मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी.
आयोग ने शिकायत एफएसएसएआई के पास भेजी. उसने मामले को गंभीरता से लेते हुए महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) को पत्र लिखकर मामले की जांच का निर्देश दिया है. एफडीए के खाद्य विभाग के संयुक्त आयुक्त चंद्रशेखर सालुंखे ने कहा, ‘पानी की जांच के लिए हम फिर से पानी का नमूना लेकर उसे प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजेंगे. पानी में घातक तत्व मिले, तो हम भाभा की रिपोर्ट को दस्तावेज की तरह पेश करके संबंधित कंपनियों पर कार्रवाई करेंगे.
भाभा रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट
भाभा रिसर्च सेंटर के 4 वैज्ञानिकों ने 2015 में मुंबई में इस्तेमाल होने वाले बोतलबंद पानी के 18 कंपनियों के 90 नमूने लिए थे. जांच में 27 प्रतिशत नमूनों में डब्लूएचओ द्वारा निर्धारित मात्रा (10 माइक्रोग्राम/लीटर) से अधिक ब्रोमेट (10.7 माइक्रोग्राम/लीटर) पाया गया. विशेषज्ञों के अनुसार, पानी में अधिक मात्रा में ब्रोमेट होने से न केवल वजन कम होता है, बल्कि किडनी की बीमारियां भी हो सकती हैं. इसकी अधिक मात्रा से कैंसर की भी शिकायत हो सकती है.