नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में अभी पिछले महीने 300 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद जब पूरे देश में कोहराम मचा तो लगा कि अब शायद कोमा में पड़ा यूपी का हेल्थ सिस्टम ठीक से काम करने लगेगा. लेकिन यूपी में कुछ नहीं बदला, ताजा मामला फर्रुखाबाद का है.
यहां भी ऑक्सीजन की कमी से 49 बच्चों की मौत की बात सामने आई. जांच के बाद कलेक्टर के निर्देश पर एक्शन हुआ. लेकिन डॉक्टरों ने मोर्चाबंदी की हुई है. पहले ये पूरा मामला देखिए फिर आपको यूपी के कुछ अस्पतालों का स्टिंग ऑपरेशन दिखाएंगे जैसे लूट-खसोट का खेल देख आंखे फटी रह जाएंगी.
मासूमों का कब्रगाह बने उत्तर प्रदेश में कैसे सिर्फ अस्पताल ही नहीं सिस्टम को भी ऑक्सीजन की जरूरत है.वो समझ में आ जाएगा. पहली तस्वीर में बिस्तर पर तड़पता मरीज है.दूसरी तस्वीर में फर्रूखाबाद के सीएमओ के कमरे में उधम मचाते है. हड़ताल का मन बनाते खाए, पीए अघाए डॉक्टर्स हैं.जो अपने उपर दर्ज मुकदमें को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.लेकिन इस धमकी के बीच सुनिए मरीज क्या कह रहा है.
अब शायद समझ में आ गया हो, यही हाल हो रखा है उत्तर प्रदेश का है. जहां सबका अपना कॉकस है. डॉक्टर का अपना, कलेक्टर का अपना, पुलिस का अपना, चपरासियों का अपना, नेताओं का अपना सबक कॉकस. बस कुछ नहीं है तो गरीब जनता का. बेचारी जनता इस सिस्टम में खुद मर रही है और अब बाल-बच्चे भी मारे जा रहे हैं.
देश का सबसे बड़ा पद्रेश मासूमों की कब्रगाह बना हुआ है. अभी गोरखपुर के मातम से देश उबर भी नहीं पाया कि उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद में मौजूद राम मनोहर लोहिया अस्पताल का ऑक्सीजन कट गया और 49 बच्चे बिना मौत मारे गए.यूपी में मासूम की मौत आज से नहीं हो रही. लेकिन हर मौत पर मम्मी-पापा, दादा-दादी रो-धोकर रह जाते. सोचते लल्ला इतने ही दिन के आया था.
गोरखपुर में मासूमों की मौत का भेद खुला तब जाकर आम लोगों को पता चला कि लल्ला तो बेमौत मारे जा रहे हैं . उसके बाद से पूरे प्रदेश में लोगों के कान खड़े हैं. अब हर मौत पर लोग वजह पूछने लगे हैं. उसका पता लगाने लगे हैं और दबाव बढ़ने पर कलेक्टर एक्शन लेने लगे हैं.
खुलासा इस बात का भी हुआ कि डॉक्टरों ने कलेक्टर को भी गुमराह किए रखा. न सही से ड्यूटी की न कलेक्टर साहब को सही बात बताई. अब जिला प्रशासन की रिपोर्ट के बाद डॉक्टरों पर गिरफ्तारी की तलवार है. इसलिए उनका कॉकस फर्रूखाबाद से लेकर लखनऊ तक हर तरफ हड़कत में आ गया. उन्होंने पूरी सरकार को हिला रखा है. प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने तुरंत बयान दे दिया कि मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है.